मेनार तालाब पर बड़ी संख्या में मौजूद विभिन्न प्रजातियों के पक्षी।
उदयपुर. कोरोना महामारी के कारण घोषित लॉकडाउन के दौरान एक ओर जहां प्रदूषण स्तर में बड़े स्तर पर गिरावट नज़र आई वहीं विभिन्न जलाशयों मंे भी शीतकाल गुजरने के बाद भी स्थानीय व प्रवासी पक्षी प्रजातियों की मौजूदगी से लगा कि लॉकडाउन के कारण स्वच्छ हुआ पर्यावरण इन्हें रास आ रहा है। यह तथ्य रविवार को जिले के पक्षीप्रेमियों की फिल्ड विजीट में नज़र आया। रविवार को जिले के प्रसिद्ध बर्डविलेज मेनार तथा समीप के ही बड़वई और किशन करेरी तालाबों के क्षेत्रीय भ्रमण दौरान वागड़ नेचर क्लब के डॉ. कमलेश शर्मा व पक्षी विशेषज्ञ विनय दवे और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के संभागीय अधिकारी अरूण सोनी के नेतृत्व में सदस्यों ने पाया कि हिमालय की तराई में प्रजनन करने वाले पांच से अधिक जोड़े ग्रेट क्रस्टेड ग्रीब को मेनार तालाब बड़ा पसंद आया है और वह अपने चिक्स के साथ यहां जलक्रीड़ा करते नज़र आए। इसके साथ ही मेनार तालाब पर तीन सौ से अधिक संख्या में फ्लेमिंगों की इतने लंबे समय तक मौजूदगी भी यहां के शुद्ध पर्यावरण और भरपूर पानी और भोजन की उपलब्धता को दर्शाता है। इन तालाबांे पर विसलिंग टील, पर्पल हेरोन और कॉमन कूट्स भी प्रजनन उपरांत अपने चिक्स को फिडिंग कराते नज़र आएं इसी प्रकार स्पून बिल, ब्लेक हेडेड आईबिस, पेंटेड स्टॉकर््स भी बड़ी संख्या में दिखाई दिए।
पर्याप्त मात्रा में भोजन की उपलब्धता पक्षी विशेषज्ञ विनय दवे ने बताया कि इन दिनों इतनी बड़ी संख्या में स्थानीय व प्रवासी पक्षी प्रजातियों की मौजूदगी दर्शाती है कि भरे-पूरे तालाबों के कारण इन पक्षियों को पर्याप्त मात्रा में भोजन की उपलब्धता हो रही है। ऐसे में मानसून आने पर आशा की जाती है कि पानी और भोजन भरपूर होने पर ज्यादा संख्या में पक्षी प्रजातियां प्रजनन करेंगी। इससे इनकी संख्या बढ़ेगी और पर्यावरण संतुलित होगा।
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