सुबह भोजन की तलाश में निकलने के दौरान इनकी चहचहाहट सुनकर दिल को सुकून मिलता है। तालाब किनारे ही नहीं, निकटवर्ती क्षेत्रों में इनका कलरव सुनाई देने लगा है। इस बार क्षेत्र में अच्छी बारिश होने से चहुंओर पानी का फैलाव है जिससे विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों को देखने के लिए कुछ मशक्कत करनी पड़ रही है।
सर्दी का मौसम शुरू होते ही चायना, मंगोलिया, साइबेरिया आदि देशों से हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर कई प्रजातियों के देशी-विदेशी पक्षी यहां प्रवास के लिए चले आते हैं। मेनार के जलाशयों पर अब तक करीब 50 से अधिक प्रजातियों के पक्षी पहुंच गए हैं। सर्दी के साथ इनकी संख्या में जबर्दस्त इजाफा होगा। आमतौर पर नवम्बर के पहले सप्ताह में प्रवासी पक्षियों का आना शुरू होता है लेकिन इस बार ये 2 से 3 सप्ताह की देरी से पहुंचे हैं। इन पक्षियों का 3 से 4 महीने तक इन्हीं जलाशयो पर बसेरा रहेगा। मेनार के जलाशयों प्रतिवर्ष करीब 150 से अधिक प्रजातियों के देशी-विदेशी परिंदों को देखा जा सकता है।
करीब 50 प्रजाति के पक्षी पहुंचे पक्षीविद् विनय दवे एवं देवेंद्र श्रीमाली के अनुसार मेनार के धण्ड तालाब पर अब तक बार हेडेड गूज bar headed goose, ग्रेटर फ्लेमिंगो
Greater Flamingo , पेलिकन palicon, नॉर्दन शोवलर, पिनटेल pintell, कॉमन टील common till, कॉमन कूट common koot, ग्रीन बी ईटर green bee eater, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट , कॉमन सैंड पाइपर, गोडविट, केंटिश प्लोवर, लिटिल रिंग्ड प्लोवर, लैसर सेंड प्लोवर, गार्गेनी, कॉमन पोचार्ड, रडी शेल्डक, रिवर टर्न, कॉरमोरेन्ट, हेरॉन, पाइड किंगफिशर, स्पॉट बिल्ड डक्स, ग्रे लेग गीज, ब्लैक शौल्डर्ड काइट, पाइड एवोसेट, शिकरा, लैसर गोल्डन बैक वुडपैकर, इंडियन सिल्वर बिल, पाइड क्रेस्टेड कुकु, इंडियन स्पेरो हॉक, मार्श हैरियर, क्रेस्टल, इजिप्शियन वल्चर, गढ़वाल, पर्पल स्वाम्प हेन, कॉपर स्मिथ बारबेट, इंडियन हॉर्न बिल, पाइड मैना, पर्पल रम्पेड सन बर्ड, नॉब बिल्ड डक, ओरियंटल मैगपाई रोबिन, रफस ट्रीपि, ग्रेट क्रस्टेड ग्रेब, कॉमन क्रेन, डेमोशिअल क्रेन आदि पक्षी नजर आए हैं।