सेटेलाइट अस्पताल में डॉ. तरुण व्यास रेडियोलोजिस्ट के तौर पर काम कर रहे हैैंैं। महीने में 4 नाइट ड्यूटी होती है, इसके अगले दिन अवकाश ले लिया जाता है। उसमें जो भी सोनोग्राफी की तारीख दे रखी होती है उन्हें अगली तारीख पर आने को कह दिया जाता है। साथ ही न्यूमिनिकोसिस बोर्ड सदस्य होने से महीने में दो दिन बेकरिया, दो दिन वल्लभनगर पीएचसी पर भी जाते हैं। रोजाना 50 से 60 सोनोग्राफी होती है। सोमवार को संजूकुंवर को 30 सितम्बर की तारीख के बावजूद 2 अक्टूबर को आने को कहा। इस पर उसके परिजन भडक़ गए क्योंकि उन्हें पहले 26 और 28 सितम्बर की तारीख पर भी ऐेसे ही लौटाया गया था।
टेकरी निवासी ज्योति के पति को डेंगू होने पर उसकी भी तबीयत खराब हो गई। खुद को भी डेगंू की आशंका के चलते अस्पताल में दिखाया। उसे बाहर से जांच करवाने के लिए कहा गया। महिला सुबह बाहर से जांचें करवा कर लाई। एक मरीज को श्वान ने काटा लेकिन इंजेक्शन बाहर से मंगवाए गए। इस पर परिजनों ने ग्रामीण विधायक फूलसिंह मीणा को शिकायत की और स्वयं भी एकत्रित होकर अस्पताल में पहुंच कर अधीक्षक का घेराव कर दिया। पूछताछ में सामने आया कि डॉ. ममता ने नाइड ड्यूटी पर महिला को चेक किया था और उसे 3 नम्बर कमरे में सुबह जांचें करवाने को कहा था। महिला किसके कहने पर डेंगू की जांच बाहर करवाकर आई।
उप नगरीय क्षेत्र के सेटेलाइट अस्पताल में रोजाना औसतन 1500 के करीब आउटडोर है। 52 तरह की जांचें यहां होती है, लेकिन स्थिति यह है कि स्वीकृत 145 में से 5 डॉक्टरों समेत 50 कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं। आरएनटी मेडिकल कॉलेज के अधीन इस अस्पताल से 3 डॉक्टरों का वेतन तो यहां से उठता है, लेकिन सेवाएं वे आरएनटी में दे रहे हैं।
सोनोग्राफी बढ़ गई है। नाइट ड्यूटी के अगले दिन दिक्कत हो रही है तो रेडियोलॉजिस्ट की दो सप्ताह हम नाइट ड्यूटी नहीं लगाएंगे। डॉक्टरों की कमी है, लेकिन मरीज बढ़ रहे हैैंैं, जो हैं उनके काम करवा रहे हैं। मेरे पास भी दो चार्ज है ऐसे में दौड़भाग रहती है।
पूरे समय न तो अधीक्षक मिलते हैं और न ही कोई डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी समझ रहे हैं। दवाएं और जांचें उपलब्ध होने के बावजूद मरीजों को बाहर भेजा जाता है। गरीब तबके का मरीज परेशान है। व्यवस्था नहीं सुधरी तो आंदोलन करेंगे।