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उदयपुर

आओ, और बढ़ाएं प्रताप का मान : जहां आजादी मिली, वह स्मारक है ताले में कैद

हल्दीघाटी के बाद दिवेर युद्ध निर्णायक बना, उपेक्षा से पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं हो पाया

उदयपुरJun 12, 2018 / 08:49 pm

madhulika singh

maharana pratap

आओ, और बढ़ाएं प्रताप का मान : जहां आजादी मिली, वह स्मारक है ताले में कैद

मोहित माहेश्वरी/ देवगढ़. विजय स्थली दिवेर पहुंचने के लिए न तो इतिहास की जानकारी देने वाला कोई बोर्ड, शिलापट्ट या संकेतक है और न ही सरकार ने कोई स्मारक बनवाया। कहा जाता है कि हल्दीघाटी युद्ध में कमजोर होने के बाद यहां गुफा में प्रताप लम्बे समय तक रहे थे। दिवेर युद्ध की तैयारियां यहीं से की। सरकार इस अविस्मरणीय जगह को ही भुला बैठी।
अब तक यह हुआ
मेवाड़ कॉम्पलेक्स योजना में 7 करोड़ 95 लाख रुपए का बजट मिला, इसमें से 1.33 करोड़ दिवेर एवं छापली के लिए था। राज्यसभा सांसद विजय गोयल ने 30 लाख रुपए दिए, जिससे ऑडिटोरियम-प्रेक्षागृह का शिलान्यास 16 जून को होगा। मेवा का मथारा में अब तक कैफेटेरिया, कार पार्किंग बन चुकी है।
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यह है इतिहास
मेवाड़ का काफी हिस्सा मुगल साम्राज्य के हाथों में जा रहा था, तब महाराणा प्रताप ने कालागुमान पंचायत स्थित मानकियावास के जंगल में युद्ध की योजना बनाई। दिवेर व छापली के दर्रों के बीच हुए भीषण युद्ध में महाराणा प्रताप व साथी रणबांकुरों ने मुगल सेना को उल्टे पांव लौटने को मजबूर कर दिया। महाराणा प्रताप स्मृति संस्थान दिवेर के महामंत्री नारायण उपाध्याय युद्ध का एक प्रसंग बताते हैं।
दिवेर से कुछ दूरी पर घाटी के मुहाने पर दूसरी मुगल चौकी थी, जहां 7.5 फीट ऊंची कद-काठी का बहलोल खान मौजूद था। उज़्बेकिस्तान से आया यह सैनिक अकबर की सेना में शामिल हुआ। बहलोल खान का सामना जब प्रताप से हुआ, तो प्रताप ने अपनी तलवार के एक ही प्रबल प्रहार से उसकी टोप, बख्तर, घोड़े की पाखट और घोड़े समेत उसे चीर डाला। दिवेर की घाटी पर प्रताप का आधिपत्य हुआ। फिर प्रताप चावंड को नई राजधानी बना लोकहित में जुट गए। दिवेर से मेवाड़ की स्वतंत्रता की उम्मीद जगी। इस युद्ध ने सिद्ध किया कि प्रताप अपनी शूरवीर-अटल संकल्प के बूते मेवाड़ को आजाद करवाकर ही दम लेंगे। स्वतंत्रता प्रेमी इस शासक ने जीवनभर पग-पग पर युद्ध का सामना किया। इतिहासकार के अनुसार हल्दीघाटी का युद्ध नैतिक विजय व परीक्षण युद्ध था तो दिवेर का युद्ध निर्णायक बना। प्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल जेम्स टॉड ने दिवेर को मैराथन ऑफ मेवाड़ की संज्ञा दी।
अफसोस… प्रताप से जुड़े स्थलों की दुर्दशा
पत्रिका टीम प्रताप जयंती तक उन स्थलों की दुर्दशा की तरफ ध्यान दिलाएगी, जो प्रताप से जुड़े हैं और आज भी अपने मान-सम्मान के लिए तरस रहे हैं। प्रताप का मान और बढ़ाएं। हमें इस नम्बर पर वाट्सएप करें 9829075324, 9829243904, 9460103778

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