भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ओर से देश में औषधीय, सुगंधित पौधों पर अनुसंधान चल रहा है। इसके लिए 33 राज्यों में अनुसंधान केन्द्र संचालित हैं। अफीम पर शोध के लिए केवल तीन सेंटर क्रमश: मंदसौर,
उदयपुर और फैजाबाद में काम कर रहे हैं। इनमें कार्यरत कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि केन्द्र सरकार ने अफीम की पॉलिसी में बदलाव के लिए उन्हें ज्यादा मार्फिन वाली नई वैरायटी एक साल में विकसित करने के निर्देश दे दिए लेकिन इसके लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई हैं। अब वे मौजूदा संसाधनों व पद्धति से ही नई वैरायटी विकसित करने में जुटे हैं। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार राजस्थान में अफीम की उपज औसत 10 से 12.3 फीसदी होती है। किसान जो अफीम लाते हैं, उसमें 8 से 12 फीसदी पाई जाती है। इस 16 से लेकर 18 फीसदी औसत मानक वाली अफीम की नई वैरायटी विकसित करने के लिए अनुसंधान शुरू कर दिया गया है।
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कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि वे अफीम की मौजूदा वैरायटियों की लाइनों का स्क्रीन करके उस पर अनुसंधान करेंगे। अभी उपलब्ध वैरायटियों को एक दूसरे से क्रॉस करके ज्यादा मार्फिन वाली नई वैरायटी विकसित करेंगे। जेनेटिक ट्रांसफॉर्मेशन के जरिए भी ज्यादा मार्फिन वाली वैरायटी विकसित की जा सकती है, लेकिन यह विधि तथा इसके लिए संसाधन देश के तीनों अफीम अनुसंधान केन्द्रों पर नहीं हैं।
अफीम की पॉलिसी रिवाइज की जा रही है। इसके तहत ज्यादा गोंद के बजाय ज्यादा मार्फिन वाली किस्म निकालने के निर्देश दिए गए हैं। नई वैरायटी आने के बाद औसत उपज के बजाय 5.9 किलोग्राम के आधार पर सरकार अफीम की खरीद करेगी और इसी के आधार पर किसानों को पट्टे देगी।
एस.एन. मिश्रा, प्रिंसीपल साइंटिस्ट, कृषि महाविद्यालय, मंदसौर