बच्ची के जन्म के बाद जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ थे , जिसमें बच्ची का वजन 2 किलो 700 ग्राम था। 20 सितम्बर बुधवार को शाम 8 बजे बच्ची की तबीयत तेज बुखार से खराब होने पर परिजनों ने हॉस्पिटल के स्टाफ नर्स योगेंद्र रोत से संपर्क किया । मेल नर्स ने बताया कि मेरा काम सिर्फ प्रसव कराना है बाकी मुझे नहीं पता । अन्य डॉक्टर के बारे में पूछने पर कहा कि अभी यहां कोई डॉक्टर नहीं है एेेसा कहकर रूम में लाइट बंद करके पंखा चालू कर सो गया । इस पर घबराए परिजनों ने फिर डॉक्टर जितेंद्र से संपर्क किया तो उसने भी पीड़ित का फोन रिसीव नहीं किया । डेढ घण्टे बाद डॉक्टर आया तब तक बच्ची की मौत हो चुकी थी । पीडित बंशीलाल ने आरोप लगाया कि डॉक्टर को बच्ची की मौत की जानकारी होने के बावजूद बार-बार उदयपुर रेफर करने की कोशिश करने लगा । बार-बार उदयपुर रेफर करने के लिए दबाव बनाते रहे परिजनों ने मेल नर्स कंपाउंडर योगेंद्र रोत पर डिलीवरी करवाने के बदले खर्चा पानी के लिए 1000 रुपये की मांग की। जिसपर पीड़ित ने उस समयअपने पास नही होने का हवाला देते हुए बाद में एटीएम से निकाल कर देने को कह दिया ।
READ MORE : उदयपुर में बाजार में पांच के नकली सिक्कों की खनक, पहचानना मुश्किल, जानकार व बैंक अधिकारी भी खुद हैरान मेल नर्स पर आरोप ये भी लगाया कि एक हजार रुपये नही पहुुंुंचने पर रात को तीन बार मांगने आ गया ! नवजात बच्ची के पिता ने चिकित्सालय के लापरवाह और गैर जिम्मेदार नर्सिंग स्टॉफ पर कार्यवाही की मांग को लेकर सराडा थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई । रिपोर्ट पर पहूुुची पुलिस नें मौका मुआयना कर सभी के बयान कलमबद्ध किये व मामले पर अनुसंधान शुरु कर दिया है । इधर बीसीएमो के निर्देश पर मेडिकल बोर्ड का गठन कर बच्ची का पीएम करवा दिया।