सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रही कानोड़ के डेगिया निवासी नंदुबाई मीणा पति के साथ गुड़ली में रहते हुए मजदूरी करती थी। उसके बीमार पति फूला मीणा की मौत रविवार को हो गई। ऐसे में समय में वह पति का शव लेकर गांव डेगिया गई। जहां परिवार वालों ने वहां अंतिम संस्कार कराने से मना करते हुए रवाना कर दिया। वह फिर पति का शव लेकर गुड़ली पहुंची। उसके पास अंतिम संस्कार कराने का बंदोबस्त नहीं था। इस पर उसने शव मुर्दाघर में रखवाने के लिए डबोक थाने से मदद मांगी। पुलिस ने शव को मावली सीएचसी के मुर्दाघर में पहुंचाया, जहां पोस्टमार्टम हुआ।
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बेसहारा नन्दूबाई अस्पताल परिसर में ही बैठी रो रही थी। उसके साथ न परिवार था, न अंतिम संस्कार करने का बंदोबस्त। किसी व्यक्ति ने महिला की तकलीफ सामाजिक संगठनों को बताई। ऐसे में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने अंतिम संस्कार करवाया।
बेसहारा नन्दूबाई अस्पताल परिसर में ही बैठी रो रही थी। उसके साथ न परिवार था, न अंतिम संस्कार करने का बंदोबस्त। किसी व्यक्ति ने महिला की तकलीफ सामाजिक संगठनों को बताई। ऐसे में शिवसेना कार्यकर्ताओं ने अंतिम संस्कार करवाया।
इस दौरान प्रदेश सचिव समरसिंह बुन्देला, रणजीत जैन, गौरव नागदा, सुधीर शर्मा, पुरणपुरी, मांगीलाल सुथार, बाबूलाल खटीक, जीवन गुर्जर, चतुर्भुज गुर्जर, धीरज लोहार, राहुल जाट, रामचन्द्र माली, वेणीराम गमेती मौजूद थे। जेठ के लडक़े से किया था प्रेम विवाह
नन्दूबाई का विवाह पहले कानोड़ के डेगिया में रूपा मीणा के साथ हुआ था। कुछ समय बाद ही उसके पति की मृत्यु हो गई। इसके बाद उसने परिवार की मर्जी के खिलाफ जेठ के ही लडक़े फूला मीणा के साथ प्रेम विवाह कर लिया। पारिवारिक बहिष्कार के चलते वह पति के साथ गुड़ली आ गई। करीब 15 साल से दोनों यही रहकर मजदूरी कर रहे थे। दूसरे पति फूला मीणा की मौत टीबी से हुई।