—– ऐसे पता चलेगा जन्मजात बच्चों में विकलांगता को पकडऩे में इस मशीन से आसानी रहेगी। इसमें कटे-फटे होंठ, तालू की समस्या, रीढ़ की हड्डी से मांस बाहर निकलने, गर्दन में गांठ निकलने की जानकारी कुछ माह में गर्भ में ही पता चल सकेगी। इससे फायदा ये होगा कि कानूनन इस तरह के बच्चों के जन्म से पहले ही गर्भपात करवाया जा सकता है, हालांकि इसे लेकर पूरी प्रक्रिया नियमानुसार अपनानी होती है। एमटीपी एक्ट में ये प्रावधान है, मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ पे्रग्नेसी, 1977 में बना था, इसके बाद इसमें कई संशोधन हुए। इसमें ये है कि यदि किसी बच्चे का जीवन जन्म के बाद खराब हो सकता है, यदि किसी बच्चे में कोई ऐसी कमी है जो पैदा होने के बाद इसकी उम्र कम हो सकती है या आजीवन वह किसी समस्या या परेशानी में रह सकता है, तो उसे लेकर परिवार वाले निर्णय ले सकते हैं।
—- मेडिकल टर्म में है कन्जनाइटल एनॉमोलीमेडिकल टर्म में जन्मजात विकलांगता को मेडिकल टर्म में कन्जनाइटल एनॉमोली कहा जाता है। वर्तमान में उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज में करीब दस टूडी सोनोग्राफी मशीन है, जबकि बाजार में थ्री डी मशीन उपलब्ध हैं। पीसीपीएनडीटी एक्ट आने के बाद इन मशीनों पर खासा शिकंजा कसा गया था, ऐसे में इसकी संख्या मेडिकल कॉलेजों में कम कर दी गई थी।
—- इस मशीन का सर्वाधिक लाभ एमटीपी एक्ट के अनुरूप लिया जा सकेगा। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ पे्रग्नेसी के अनुसार यदि कोई बच्चा जन्मजात विकलांग होगा तो उसके खराब जीवन से उसे बचाने के लिए गर्भपात करवाया जा सकेगा। फिलहाल मेडिकल कॉलेजों में टूडी मशीने ही उपलब्ध हैं। डॉ रमेश जोशी, उपाधीक्षक महाराणा भूपाल हॉस्पिटल उदयपुर