सत्र शुरू होने से पहले विश्वविद्यालय ने एकेडमिक परफॉर्मेंस इंडेक्स (एपीआई) को लेकर भी नए मापदंड तैयार किए हैं। एपीआई स्कोर काउंटिंग यूजीसी के लिए बड़ी परेशानी हो गई है। हालात ये हैं कि पीएचडी और प्रमोशन में बोनस अंक प्राप्त करने के लिए 50 से 60 हजार रुपए खर्च कर घर बैठे अच्छा खासा एपीआई स्कोर जुटाया जा सकता है। अभी तक किसी भी मैग्जीन में आर्टिकल प्रकाशित कराकर विद्यार्थी पीएचडी के स्कॉलर बनने के लिए 10 अंक तक प्राप्त कर रहे थे। अब मान्यता प्राप्त, नियमित उच्च गुणवत्ता व खरे मापदंडों वाली पत्रिकाओं और जर्नल्स में आर्टिकल या रिसर्च रिपोर्ट प्रकाशित होने पर ही अंक मिलेंगे।
READ MORE: Video: उदयपुर में आनेवाला हर पर्यटक यहां आकर रह जाता है दंग, आपने कहीं देखा नहीं होगा ऐसा अनूठा संग्रहालय शोध गंगा पर होगी रिसर्च की परख शोध में कट, कॉपी, पेस्ट की प्रवृत्ति पर लगाम लगाने के लिए भी डीन पीजी कार्यालय ने पुख्ता व्यवस्था की है। अब वाइवा से पहले शोद्यार्थियों की थिसिस यूजीसी अप्रूव्ड शोध गंगा वेबसाइट पर डाली जाएगी। इस पर सभी विश्वविद्यालयों के अधिकांश शोध उपलब्ध हैं। कट, कॉपी पेस्ट पाए जाने वाली लाइनों को शोधगंगा प्रमुखता से उजागर करती है। थिसिस में नकल करने वाले शोद्यार्थियों के शोध को अमान्य करार दिया जाएगा।
हमारी डिग्री और उपाधि व्यवस्था पहले से स्पष्ट और पारदर्शी है। दूसरे राज्यों में सामने आ रहे फर्जीवाडे़ के मामलों को देखते हुए रेनबो फोटो युक्त डिग्री व उपाधि देने का निर्णय लिया है। नए सत्र से विद्यार्थियों को फोटोयुक्त उपाधि मिल सकेंगी।
प्रो. जे.पी. शर्मा, कुलपति, सुखाडि़या विश्वविद्यालय