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उदयपुर

अब मरीजों की ‘सांसे, चलाएंगे क्रायोजनिक टेंकर, जल्द दूर होगी ऑक्सीजन की कमी

– हिन्दुस्तान जिंक की ऑक्सीजन मेडिकल उपयोग के अनुकूल, सरकार जुटी क्रायोजनिक टेंकर से लाने की तैयारी में – ऑक्सीजन की भारी कमी के बीच उम्मीद की किरण

उदयपुरApr 21, 2021 / 06:29 am

bhuvanesh pandya

अब मरीजों की 'सांसे, चलाएंगे क्रायोजनिक टेंकर, जल्द दूर होगी ऑक्सीजन की कमी

अब मरीजों की ‘सांसे, चलाएंगे क्रायोजनिक टेंकर, जल्द दूर होगी ऑक्सीजन की कमी

. बढ़ते कोरोना रोगियों के कारण भारी ऑक्सीजन की कमी से जूझते उदयपुर को अब सरकार के तमाम प्रयासों के बाद हिन्दुस्तान जिंक की ‘सांसेÓ राहत देंगी। आरएनटी मेडिकल कॉलेज की टीम ने हिन्दुस्तान जिंक से तैयार होने वाले लिक्विड ऑक्सीजन व ऑक्सीजन को मेडिकल ऑक्सीजन में काम आने की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है। सब कुछ अपेक्षा के अनुरूप रहा तो ये ऑक्सीजन मरीजो की जान बचाने के काम आएगी। सरकार अब ऐसे क्रायोजनिक टेंकर जुटाने के काम में लग गई है, ताकि इस टेंकर में भरकर ये ऑक्सीजन आरएनटी-एमबी के प्लांट में भरा जा सके।
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भुवनेश पंड्या

उदयपुर. हिन्दुस्तान जिंक का चंदेरिया स्थित गैस प्लांट प्रति घंटा 3100 मीटर क्यूब ऑक्सीजन का उत्पादन करता है, ऐसे में यदि इसका उपयोग शुरू किया जाए तो उदयपुर में एक घंटे में करीब 450 ऑक्सीजन सिलेंडर भरे जा सकें गे। खास बात ये है कि प्रत्येक गैस सिलेंडर में 7 मीटर क्यूब ऑक्सीजन होती है। इसके अलावा दरीबा के गैस प्लांट की ऑक्सीजन भी मरीजों के उपयोग में ली जा सकेगी।
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इसलिए होती है ऑक्सीजन की जांच – मरीजों को जो ऑक्सीजन दी जाती है उसे मेडिकल ऑक्सीजन कहा जाता है।

– दवाइयों से लेकर मेडिकल उपयोग में ली जाने वाली ऑक्सीजन को नियामक इंडियन फार्मेकोपिया व ब्रिटिश फार्मेकोपिया के मापदण्डों पर खरा उतार कर देखा जाता है।
– नियामक के अनुसार 93 से 99 के बीच ऑक्सीजन का कंसनटेशन होना चाहिए। यहां 90 से 96 के बीच कंसनटेशन है।ं लिक्विड में 99 प्रतिशत बताई गई है, जो और बेहतर है।

– मेडिकल ऑक्सीजन में कार्बन मोनोक्साइड गैस नहीं होनी चाहिए। यहां ऐसा ही है, इसमें ऑर्गन, नाइट्रोजन, हिलियम गैस है, जिससे कोई परेशानी नहीं है। – दबाव 140 किलो प्रति सेंटीमीटर स्क्वायर होना चाहिए।
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औद्योगिक ऑक्सीजन की जांच जरूरी

– औद्योगिक ऑक्सीजन की जांच इसलिए जरूरी है क्योंकि ये देखना होता है कही इसमें कार्बन मोनोक्साइड तो नहीं। यदि ये मोनोक्साइड गैस हो तो इससे जहर फैलता है। लिक्विड क्रोमेटोग्राफी से ये पता चलता है कि ऑक्सीजन इस्तेमाल करने लायक है या नहीं।
– फिलहाल उदयपुर में एमबी हॉस्पिटल व अर्नेस्ट गैस के पास लिक्विड प्लान्ट है।

– एमबी का ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट प्रतिदिन सवा सौ सिलेंडर गैस उत्पादित कर रहा है।

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सरकार की दूरदर्शिता ने बढ़ाया हौसला सरकार की दूरदर्शिता ने हमारा हौसला बढ़ाया है। कोरोना संक्रमण की शुरुआत में ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा ने लगातार फोलोअप लेते हुए ऑक्सीजन पर बेहतर काम करवाया है। यहां करीब 60 लाख का लिक्विड प्लांट, 73 लाख का ऑक्सीजन जनरेनशन प्लांट शुरू किया गया। इसके साथ ही 582 सिलेंडर नए खरीदे, पहले 719 थे अब 1301 सिलेंडर हैं। हमने 160 वेंटिलेटर बढ़ाए है। सरकार ने जो रिपोर्ट मांगी थी वह हमने भेज दी है। सरकार को रिपोर्ट दी है कि हिन्दुस्तान जिंक की ऑक्सीजन मेडिकल इस्तेमाल के लिए सही है। वहां से लाकर लिक्विड प्लान्टमें भरने के लिए क्रायोजनिक टेंकर की जरूरत है, वह आते ही ये ऑक्सीजन उपयोग में ली जाएगी।
डॉ लाखन पोसवाल, प्राचार्य आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर

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