– मरीज व उसके परिजन अपने स्तर पर ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं बढ़ाए इस पर निगरानी हो
– मरीज खाना खाए, वॉशरूम जाए तब ऑक्सीजन सप्लाई वार्ड स्टाफ से बंद करवाए
– डॉक्टर एवं वार्ड में उपस्थित स्टाफ द्वारा मरीज को प्रोन पॉजिशन में लैटाया जाए, इसके लिए वार्ड में पोस्टर भी लगाए जाए।
– मरीजों को समझाया जाए कि सैचुरेशेन का स्तर 90-94 प्रतिशत उचित रहता है तथा 95 प्रतिशत से अधिक सेचुरेशन पर अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होती है।
– कम ऑक्सीजन मांग तथा अधिक ऑक्सीजन मांग के मरीजों के प्रतिशत की जांच करें
– प्रति मरीज कितने ऑक्सीजन सिलेंडर इस्तेमाल कर रहे है इसकी भी जांच की जाए
– सिलेंडर एकत्रित तो नहीं किए गए या कोई कालाबाजारी तो नहीं की जा रही है, इसकी जांच की जाए
– यह भी जांच की जाए कि क्या मरीज 14 दिन से पूर्व डिस्चार्ज किए जा सकते है
– यह भी जांच की जाए कि क्या मरीज को ऑक्सीजन की आवश्यकता नहीं होने पर भी वह भविष्य में बेड नहीं मिलने के डर मात्र से अस्पताल में जानबुझकर अनावश्यक भर्ती है।
– रखरखाव व मरम्मत की क्या व्यवस्था है, इसकी जांच करें
– नर्सिंगकर्मी प्रत्येक दो से तीन घंटे में मरीज के सेचुरेशन लेवल जांचते रहे।