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उदयपुर

पिछोला से निकाली जलीय खरपवार वापस झील में समा रही

नगर निगम ने महीनों से उठाना ही उचित नहीं समझा

उदयपुरFeb 24, 2020 / 09:35 am

Mukesh Hingar

पिछोला से निकाली जलीय खरपवार वापस झील में समा रही

पिछोला से निकाली जलीय खरपवार वापस झील में समा रही

मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. झीलों को प्रदूषित मुक्त रखने के लिए सरकारी एजेसियां लाखों-करोड़ों रुपए खर्च कर रही है लेकिन शहर की पिछोला झील से निकाली जाने वाली जलीय खरपतवार को लेकर काम जिस ढंग से किया जा रहा है उसका परिणाम यह है कि वहां पैसा व समय तो बर्बाद किया जा रहा है लेकिन कुछ ही समय में सारा काम बेकार हो रहा है। जिस खरपतवार को निकाला जाता है वह फिर से झील के पानी में समाहित हो रही है। असल में नगर निगम के काम करने के तरीके पर ही सवाल पहले भी उठे थे और अभी भी तस्वीर पहले जैसी ही है। पिछोला झील पर रिंग रोड किनारे की तरफ डिविडिंग मशीन के जरिए झील से खरपवार निकालने का काम किया गया, उसके ढेर झील किनारे लगा दिए गए और उसके बाद वहां से उसे उठाने का कार्य रामभरोसे हो गया। पिछले कई दिनों से सीसारमा से सटी रिंग रोड पर खरपतवार के ढेर जमा पड़े है लेकिन उसे उठाने वाला कोई नहीं है। रिंग रोड की तरफ आने-जाने वाले लोगों को पीड़ा है कि जो खरपतवार झील से निकाली वह मिट्टी के साथ वापस झील में ही गिर रही है, वे कहते है कि महीनों से यहां ढेर लगे है।

ऐसी खराब कर रहे पिछोला
1. झील प्रदूषित : खरपतवार के झील में गिरने से झील प्रदूषित हो रही है। जिसे निकाला गया वह वापस झील में समा रही है। खरपवार को जलाने से राख के कण भी पानी में समाहित हुए है।
2. झील छोटा हो रहा : झील किनारे फैली खरपतवार सूखने के बाद मिट्टी के ढेर में बदल जाती है। झील में गिरने और ढेर लगने से झील भी छोटी हो रही है।
3. जलाकर धूआं भी फैला रहे : यहीं नहीं कुछ जगह पर इस खरपवार को सूखने के बाद जलाने का काम भी किया गया। इससे इस क्षेत्र में धूआं फैला है जबकि यह क्षेत्र देसी-विदेशी पक्षियों का प्रवास वाला इलाका भी है।
4. नुकसान ही नुकसान : डिविडिंग मशीन से खरपवार निकालने पर बड़ा बजट खर्च होता है। पैसा व उसे निकालने का समय सब व्यर्थ इसलिए जाता है निकाली हुई खरपवार वापस पानी में समाहित हो जाती है।


पिछोला से निकाली जलीय खरपवार वापस झील में समा रही
जिम्मेदार नगर निगम गैरेज सैक्शन
इस कार्य के लिए सबसे बड़ी लापरवाही नगर निगम के गैरेज सेक्शन की सामने आई है। बताते है कि डिविडिंग से ढेर निकालने के बाद उसे हटाने का कार्य गैरेज से होता है लेकिन वहां कई बार सूचित करने के बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया जिससे ढेर के ढेर लग गए और खरपवार पानी में समाहित हो रही है।
इनका कहना है…
पिछोला किनारे बहुत खराब स्थिति है। झील से निकाली जलीय खरपवार के ढेर लगे है। देखने वाला नहीं है। खरपतवार को सज्जनगढ़ के पास वन विभाग की बंजर भूमि पर डालकर कम्पोस्ट खाद बनाया जा सकता है। ऐसा किया जाता है तो इसे ट्रेचिंग ग्राउंड पर ले जाने का खर्चा भी बच जाएगा। अभी महत्वपूर्ण बात यह है कि झील किनारे लगे खरपवार के ढेर हटाए जाए।
– तेजशंकर पालीवाल, सदस्य झील सुरक्षा एवं विकास समिति
पूरी स्थिति को दिखावाते हुए उन ढेर को जल्दी से हटाने का काम शुरू करवाते है।
– जी.एस. टांक, महापौर

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