इस सीजन में एमडीएमएच व एमजीएच में आए सर्पदंश के किसी मरीज की मौत नहीं हुई है, जबकि इन अस्पतालों में बरसात व गर्मी के मौसम में हर माह सर्पदंश के औसत 70-80 मरीज अस्पताल पहुंचते हैं। जिनमें से पांच फीसदी से भी कम मरीजों को बचा पाना सम्भव नहीं हो पाता, क्योंकि ये मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते।
ALSO READ- विश्वास से खिलवाड़….जोधपुर में पिछले डेढ़ माह में 3 वारदातें निकली झूठी… जानें पूरा सच पश्चिमी राजस्थान में बढ़े हैं कोबरा के काटने के केस एमडीएमएच के मेडिसिन विभाग के चिकित्सक डॉ. श्याम माथुर ने बताया कि एमडीएमएच में जोधपुर समेत, जैसलमेर, बाड़मेर तक के सर्पदंश के केस पहुंचते हैं। इनमें वाइपर व क्रेट सर्प के साथ ही कोबरा के काटने के मामले भी होते हैं। डॉ. माथुर ने बताया कि बीते एक-दो साल में कोबरा के काटने के मामले काफी बढ़े हैं लेकिन समय पर उपचार लेने वाले सभी मरीज स्वस्थ होकर घर लौट जाते हैं।
ALSO READ- अजब-गजब: दिवंगत शिक्षिका को नौकरी पर लेगा शिक्षा विभाग! …तो नहीं बच पाते मरीज डॉ. माथुर ने बताया कि अस्पताल पहुंचते ही सर्पदंश के मरीज को एंटी स्नेक वेनम(इंजेक्शन) की दस डोज देते हैं। उसके बाद हर छह घंटे में इंजेक्शन लगाया जाता है। सर्पदंश का मरीज औसतन 25 से 30 डोज के बाद सामान्य हो जाता है। लेकिन जिन मरीजों के ब्रेन हैमरेज या रक्तस्राव शुरू हो जाता है उनको बचा पाना मुश्किल होता है। ऐसे में सर्पदंश के मरीज को जल्द से जल्द उपचार दिलाना चाहिए।
निशुल्क उपलब्ध है उपचार सरकारी अस्पतालों में सर्पदंश के मरीजों के लिए निशुल्क इंजेक्शन व अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। लेकिन सर्पदंश के मरीज उपचार यदि किसी निजी अस्पताल में कराया जाए तो उसका खर्चा करीब 40 से 50 हजार तक आ जाता है। निजी अस्पतालों व स्टोर पर एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन भी करीब 500-600 रुपए में मिल पाता है।
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