scriptजीवन के कड़वे सच से साक्षात है ‘पॉकेटमार रंगमंडल’ | pocketmar rangmandli is harsh reality of life | Patrika News
उदयपुर

जीवन के कड़वे सच से साक्षात है ‘पॉकेटमार रंगमंडल’

DRAMA: ए. वजाहत लिखित और रेखा सिसोदिया निर्देशित नाटक में रेखांकित हुआ सही राह अपनाने वालों का संघर्ष

उदयपुरAug 12, 2019 / 02:10 am

Manish Kumar Joshi

pocketmar-rangmandli-is-harsh-reality-of-life

जीवन के कड़वे सच से साक्षात है ‘पॉकेटमार रंगमंडल’

उदयपुर. नाट्यांश (natyansh) नाटकीय एवं प्रदर्शनीय कला संस्थान की ओर से नाइयों की तलाई स्थित नाट्यांश वर्कप्लेस पर नाट्य संध्या का आयोजन किया गया जिसमें ए. वजाहत लिखित और रेखा सिसोदिया निर्देशित नाटक “पॉकेटमार रंगमंडल” का मंचन किया गया। नाटक के माध्यम से कलाकारों ने दिखाया कि किस प्रकार से कला से जुड़ा हुआ इंसान बुराइयों और अपराध से दूर रहता है।

नाटक की कहानी भगवान नाम के एक किरदार के आस-पास घूमती है, जो एक पॉकेटमार है जो एक बार किसी शिकार का पीछा करते हुए एक नाटक देखने चला जाता हैं। नाटक से प्रभावित हो वो आपराधिक दुनिया को छोड़ कर कलाकार बनना चाहता है। फिर नाटक के अलग-अलग निर्देशकों के साथ काम कर नाट्य विधा में निपुण होता और उसके बाद वो अपना ग्रुप बना लेता है परन्तु इसके बाद भी उसका संघर्ष यही खत्म नहीं होता है। उसे एक्टर्स नहीं मिलते वो किसी तरह अपनी ही बिरादरी जैसे छोटे-मोटे चोर उचक्कों को सही राह पर लाकर उन्हें नाटक के लिए तैयार करता है परन्तु इतनी सारी जद्दोजहद के बाद भी उसे नाटक के मंचन के लिए हॉल नहीं मिलता है। जब हॉल मिल जाता तो उसका मालिक उससे पैसे ज्यादा मांगता है जिससे मजबूर होकर वह पुराने पेशे को अपनाने के लिए मजबूर हो जाता है और पकड़ा जाता है परन्तु संयोग से पुलिस इंस्पेक्टर नाट्यप्रेमी निकलता है और उससे नाटक के टिकट खरीद लेता है जिससे उसके हॉल के पैसे मिल जाते और वो भगवान पैसे लाकर उस मैनेजर को देता है जो हॉल के डबल किराया ले रहा है और नाटक के अंत में उसे और उस जैसे लोग जो आम आदमियों को लुटते हैं उन्हें असली पॉकेटमार कहता है।

Home / Udaipur / जीवन के कड़वे सच से साक्षात है ‘पॉकेटमार रंगमंडल’

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो