आलू की नई फसल दीपावली के बाद बाजार में आना शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार बारिश, ओलावृष्टि और कोहरे के कारण फसल को नहीं निकाला गया। कुछ जगह फसल खराबा भी हुआ। ऐसे में आलू की आपूर्ति मांग से काफी कम हो रही है। इधर, पुराना आलू खरीदार कम पसंद कर रहे हैं। इसके चलते आलू के भाव बढ़ गए हैं।
डेढ़ गुना हुई पुराने आलू की दर
शहर में पुराने आलू की आपूर्ति उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से होती है। वर्तमान में ये आलू 10 से 14 रुपए प्रति किग्रा की दर से होलसेल बिक रहे हैं। इनकी रिटेल कीमत 16 से 17 रुपए प्रति किलो है। एक माह पूर्व ये आलू 11 से 12 रुपए प्रतिकिग्रा बिक रहे थे। इसी प्रकार नए आलू की होलसेल रेट 18 से 20 रुपए प्रति किग्रा व रिटेल में 25 से 27 रुपए तक हैं।
शहर में पुराने आलू की आपूर्ति उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से होती है। वर्तमान में ये आलू 10 से 14 रुपए प्रति किग्रा की दर से होलसेल बिक रहे हैं। इनकी रिटेल कीमत 16 से 17 रुपए प्रति किलो है। एक माह पूर्व ये आलू 11 से 12 रुपए प्रतिकिग्रा बिक रहे थे। इसी प्रकार नए आलू की होलसेल रेट 18 से 20 रुपए प्रति किग्रा व रिटेल में 25 से 27 रुपए तक हैं।
1000 क्विंटल आलू प्रतिदिन चाहिए
शहर में आलू की करीब तीन गाडिय़ां प्रतिदिन आती है। एक गाड़ी में 50 किग्रा के 700 बेग होते हैं। ऐसे में करीब 1000 क्विंटल आलू प्रतिदिन शहर में आता है। वर्तमान में कोहरा छाया हुआ है ऐसे में आलू की खुदाई नहीं हो रही। मौसम खुलने के बाद माल की आवक बढेग़ी और दरें भी नीचे आने की संभावना है।
शहर में आलू की करीब तीन गाडिय़ां प्रतिदिन आती है। एक गाड़ी में 50 किग्रा के 700 बेग होते हैं। ऐसे में करीब 1000 क्विंटल आलू प्रतिदिन शहर में आता है। वर्तमान में कोहरा छाया हुआ है ऐसे में आलू की खुदाई नहीं हो रही। मौसम खुलने के बाद माल की आवक बढेग़ी और दरें भी नीचे आने की संभावना है।
– दिलीप कुमार कटारिया, आलू विक्रेता
गीली फसल जल्दी होती है खराब इस बार बारिश का असर लंबे समय तक रहा है। ऊपर से कोहरे और ओलावृष्टि ने जमीन सूखने से पूर्व उसे पुन: नम कर दिया। जमीन कंद गीले होने से जल्दी खराब होते हैं। इसके चलते किसान इन्हें जमीन से बाहर नहीं निकाल रहे। कुछ नया माल माल बाजार में आ रहा है, उसमें भी कहीं-कहीं दाग लगा है।
– मुकेश खिलवानी, सब्जी विक्रेता
गीली फसल जल्दी होती है खराब इस बार बारिश का असर लंबे समय तक रहा है। ऊपर से कोहरे और ओलावृष्टि ने जमीन सूखने से पूर्व उसे पुन: नम कर दिया। जमीन कंद गीले होने से जल्दी खराब होते हैं। इसके चलते किसान इन्हें जमीन से बाहर नहीं निकाल रहे। कुछ नया माल माल बाजार में आ रहा है, उसमें भी कहीं-कहीं दाग लगा है।
– मुकेश खिलवानी, सब्जी विक्रेता