प्रो. जेपी शर्मा, कुलपति, मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय
भर्ती और पदोन्नति के लिए पीएचडी अनिवार्य होगी। नए नियमों के अनुसार 1 जुलाई 2021 से सहायक प्रोफेसर पद पर सीधी भर्ती के लिए एक अनिवार्य योग्यता होगी।
छात्र-शिक्षक अनुपात निर्धारित मानदंडों के अनुरूप नहीं हो और जरूरत हो तब ही शिक्षकों को अनुबंध आधार पर नियुक्त करना चाहिए। किसी भी मामले में ऐसी नियुक्तियों की संख्या कॉलेज व विश्वविद्यालय में संकाय पदों की कुल संख्या के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। इनकी योग्यता और चयन प्रक्रिया नियमित शिक्षकों की तरह होगी। अनुबंधित शिक्षकों को भुगतान नियमित सहायक प्रोफेसर के मासिक सकल वेतन से कम नहीं होनी चाहिए।
विश्वविद्यालय व कॉलेजों को कम से कम 180 कार्य दिवसों को अपनाना चाहिए। शिक्षण में न्यूनतम 30 छह दिवसीय सप्ताह होना चाहिए। शेष अवधि में 12 सप्ताह प्रवेश और परीक्षा की गतिविधियों के लिए समर्पित हो सकते हैं। सह-पाठ्यचर्या, खेल, कॉलेज दिवस आदि के लिए गैर-शिक्षण दिन, अवकाश के लिए 8 सप्ताह और 2 सप्ताह विभिन्न सार्वजनिक छुट्टियों के हो सकते हैं। यदि विश्वविद्यालय 5 दिन के सप्ताह के पैटर्न को मानता है कि तो छह सप्ताह के साथ वास्तविक शिक्षण के 30 सप्ताह के बराबर सुनिश्चित करने के लिए हफ्तों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।
डिग्री की अवधि को अध्यापन पदों पर नियुक्ति में शिक्षण व अनुसंधान अनुभव के रूप में नहीं माना जाएगा। इसके अतिरिक्त बगैर छुट्टी शिक्षण के साथ ही अनुसंधान की अवधि सीधे भर्ती पदोन्नति के उद्देश्य के लिए शिक्षण अनुभव के रूप में गिनी जाएगी। पीएचडी के लिए छुट्टी की अवधि सीधी भर्ती एवं पदोन्नति को शिक्षण अनुभव के रूप में
गिना नहीं जाएगा।