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राजीनामे से निपटे 1916 प्रकरण,14.19 करोड़ अवार्ड जारी…तीन पति पत्नी ने फिर थामे हाथ

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उदयपुरSep 09, 2018 / 07:16 pm

Krishna

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मो.इलियास/उदयपुर. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशन में आयोजित चौथी राष्ट्रीय लोक अदालत में उदयपुर जिले में 1916 प्रकरणों का राजीनामे से निपटारा करते हुए 14.19 करोड़ रुपए के अवार्ड जारी किए गए। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण न्यायालय में दुर्घटना में पति की मौत पर पत्नी को 75 लाख रुपए दिलवाए गए तो एन.आई.एक्ट 2 न्यायालय ने एक प्रकरण में राजीनामा करते हुए 1 करोड़ 67 लाख 30 हजार रुपए का अवार्ड जारी किया।जिला न्यायालय ने लोक अदालत के लिए 35 बेंच का गठन किया था। उदयपुर मुख्यालय एवं तालुका मावली, वल्लभनगर, भींडर, कानोड, सराड़ा, सलूम्बर, झाड़ोल, गोगुन्दा, कोटड़ा में राष्ट्रीय लोक अदालत हुई। अदालतों में लंबित प्रकरण के अलावा प्री-लिटिगेशन स्टेज पर चल रहे ऋण के मामले एवं अन्य प्रकरणों का हाथों-हाथ निस्तारण किया गया। लोक अदालत में बैंक एवं अन्य सरकारी विभागों के अधिकारीगण एवं कर्मचारी भी उदयपुर जिला न्यायालय परिसर में मौजूद रहे। सभी अधिकारी एवं कर्मचारी ने बैंक लोन एवं अन्य बकाया भुगतान को चुकाने एवं कोर्ट कचहरी से छुटकारे के लिए पक्षकारों को अधिकाधिक रियायत दी। कई पक्षकारों ने प्री-लिटिगेशन लोक अदालत की बेंच में अपने मामलों का निस्तारण करवाया। राष्ट्रीय लोक अदालत में न्यायालयो में लंबित प्रकरणो के अलावा प्री लिटिगेशन स्टेज पर लोन मामले एवं अन्य प्रकरणों का भी हाथों हाथ निस्तारण किया गया।
तीन पति पत्नी ने फिर थामे हाथ

पारिवारिक न्यायालय के न्यायाधीश अरुण गुप्ता ने राष्ट्रीय लोक अदालत में राजीनामे से प्रकरणों का निस्तारण करते हुए अलग अलग तीन मामलों में पति-पत्नी को समझाइश कर घर भेजा। मोटर वाहन दुघर्टना दावा अधिकरण-2 की न्यायाधीश ममता व्यास ने एक दावे में पति की मृत्यु दुघर्टना से होने पर पत्नि को 75 लाख रुपए का चेक बीमा कंपनी से दिलवाते हुए प्रकरण का निस्तारण किया। एन.आई.एक्ट केसेज -2 के विशिष्ठ न्यायिक मजिस्टे्रट कृष्णा राकेश कानावत ने एक प्रकरण में राजीनामा करवाते हुए 1 करोड़ 67 लाख 30 हजार रुपए का अवार्ड जारी किया।
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पक्षकार कर सकते है आग्रह

प्राधिकरण की पूर्णकालिक सचिव रिद्धिमा शर्मा ने बताया कि लोक अदालत में प्रकरण का निस्तारण होने पर सिविल मामलों में न्यायालय फीस लौटाई जाती है तथा पक्षकार शीघ्र न्याय प्राप्त कर मुकदमेबाजी के तनाव से मुक्त होते है।पक्षकार लंबित प्रकरणों को आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत में रखवाने के लिए संबंधित न्यायालय से आग्रह कर सकते हैं।

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