एक ओर सरकार स्तर पर आदिवासी बाहुल्य इलाकों की ग्रामीण आबादी के लिए अतिरिक्त बजट देकर सुविधाएं पहुंचाने के दावे किए जाते हैं, लेकिन दूसरी ओर सत्यता जानने का किसी स्तर पर साहस नहीं जुटाया जाता। हकीकत भी यही है कि खराब हुई सड़कों के बीच दुपहिया सवार लोगों को कमर दर्द जैसी बीमारियां घेर रही हैं। आए दिन चोटिल होने जैसे मामलों के अलावा आगे चलते वाहनों के साथ उड़ती धूल समीपवर्ती लोगों को सांस का रोगी बना रही है। धूल के गुबार के बीच आगे चलते वाहनों से टकराने के मामले भी सामने आते हैं। लेकिन, ग्रामीणों की समस्या को लेकर किसी भी स्तर पर सक्रियता नहीं दिखाई जा रही।
पीडब्ल्यूडी कोटड़ा के अधीन सड़कों की बात करें तो रेकॉर्ड के हिसाब से इस क्षेत्र में 1435 किलोमीटर का सड़क तंत्र है। इसमें नेशनल हाई-वे 58 ई, 927 ए के सड़क की लंबाई करीब 177 है। इसमें भी 58 ई हाई-वे पर उदयपुर से फलासिया व सोम होकर गुजरात को जोडऩे वाला करीब 91 किलोमीटर टुकड़ा आए दिन दुर्घटनाओं का कारण बन रहा है।
झाड़ोल स्थित अधिशासी अभियंता कायार्लय की बात करें तो यहां अधिशासी अभियंता के अलावा सहायक अभियंताओं का डेरा है। सभी अधिकारी राजपत्रित होने के साथ कार्यालय और व्यवस्था के प्रति जवाबदेह हैं। लेकिन, फिल्ड पर लोगों की समस्याओं के निस्तारण को लेकर सरकारी रेकॉर्ड में दो कनिष्ठ अभियंताओं की स्वीकृति है। दूसरी ओर सच यह है कि दोनों ही पद खाली पड़े हुए हैं। सहायक अभियंता के नाम पर तीन जिम्मेदारों ने मोर्चा संभाल रखा है। इनमें भी एक की पदोन्नति शेष है। इसके बाद एक पद और खाली हो जाएगा। वेलदार के नाम पर 25 कर्मचारी हैं, जो कि अधिकतक दो वर्ष बाद सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
झाड़ोल में 16 अगस्त को 122 एमएम बारिश हुई थी। सरकार ने टूटी सड़कों की मरम्मत के लिए प्रस्ताव मांगे थे। तब 195 किलोमीटर लंबाई पर मरम्मत के भेजे गए प्रस्ताव पर प्रशासनिक स्वीकृति मिली है। अभी वित्तीय स्वीकृति आना शेष है।
भूरसिंह, सहायक अभियंता, पीडब्ल्यूडी
हमारी सरकार के कार्यकाल में नेशनल हाई-वे 58 ई का कार्य स्वीकृत कराया था। स्थानीय लोक निर्माण विभाग के अधीन सड़कों पर कोई निर्माण या मरम्मत कार्य नहीं हो रहा है। public works department विभाग और सरकार दोनों ही आम जनता की परेशानी समझने को तैयार नहीं हैं।
बाबूलाल खराड़ी, विधायक झाड़ोल