यह है बानगी 1. बिष्णुचरण मल्लिक- जिला निर्वाचन अधिकारी
– इन्हें इनके मोबाइल पर एसएमएस के जरिए महापौर की ओर से उपलब्धियां बताने के लिए बुलाई गई प्रेस कान्फ्रेंस की जानकारी देकर पूछा कि क्या यह आचार संहिता का मजाक है?
– इन्हें इनके मोबाइल पर एसएमएस के जरिए महापौर की ओर से उपलब्धियां बताने के लिए बुलाई गई प्रेस कान्फ्रेंस की जानकारी देकर पूछा कि क्या यह आचार संहिता का मजाक है?
जवाब- कोई जवाब नहीं मिला।
2. संजय कुमार- रिटर्निंग अधिकारी – इनसे भी इस संबंध में जानकारी चाही गई।
जवाब- पहले कहा कि इस संबंध में पूरी तरह जानकारी लेकर बताता हूं। बाद में फिर पूछा तो कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए।
2. संजय कुमार- रिटर्निंग अधिकारी – इनसे भी इस संबंध में जानकारी चाही गई।
जवाब- पहले कहा कि इस संबंध में पूरी तरह जानकारी लेकर बताता हूं। बाद में फिर पूछा तो कोई संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए।
3. तरू सुराणा- आचार संहिता मॉनिटरिंग प्रकोष्ठ सहायक प्रभारी
– इन्होंने पहले फोन ही नहीं उठाया। बाद में कहा कि पता करके बताती हूं। पूरी जानकारी देती हूं। लेकिन, वापस न फोन किया और ना ही अटेंड किया।
– इन्होंने पहले फोन ही नहीं उठाया। बाद में कहा कि पता करके बताती हूं। पूरी जानकारी देती हूं। लेकिन, वापस न फोन किया और ना ही अटेंड किया।
….. अंत में पत्रिका टीम ने पर्यवेक्षक से बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसी शिकायतों में जिला निर्वाचन अधिकारी निर्णय लेते हैं लेकिन वे इसमें विफल रहते हैं तो हम निर्णय लेते हैं। – राजीव शर्मा, पर्यवेक्षक, उदयपुर शहर एवं ग्रामीण।