चारभुजा ऐसे शुभ है भाजपा के लिए – वर्ष 2003 में वसुंधरा राजे ने परिवर्तन यात्रा का आगाज चारभुजा से किया तो पार्टी ने करीब 120 सीटें जीती थी। – वर्ष 2008 में भाजपा ने मेवाड़ को छोड़ दिया था, चारभुजा से चुनावी आगाज नहीं हुआ और उधर परिणाम भी पार्टी के विपरीत आया तो राजस्थान से भाजपा की सत्ता चली गई थी। भाजपा 78 सीटें ही प्रदेश में जीत पाई। – वर्ष 2013 में बतौर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने सुराज संकल्प यात्रा चारभुजा से ही शुरू की। तब भाजपा ने प्रदेश में प्रचंड बहुमत के साथ 160 से ज्यादा सीटें जीती थी।
यह भी मानते मेवाड़ जीता मतलब राजस्थान जीता भाजपा हो या कांग्रेस दोनों ही पाटियां मानती है कि अगर मेवाड़ जो दल जीतता है सरकार भी उसी दल की प्रदेश में बनती है। वसुंधरा राजे के ही हर चुनाव में सबसे पहले और ज्यादा दौरें मेवाड़ में हुए है, सरकार में आने के बाद भी वे चारभुजा, नाथद्वारा, सांवरियाजी, त्रिपुरा सुंदरी, बेणेश्वर धाम आदि में होने वाले आयोजनों में शामिल होती है। कांग्रेस की तरफ से देखे तो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी मेवाड़-वागड़ से बड़ा गहरा नाता रहा, गहलोत आयोजन हो या नहीं पर वे मेवाड़ को पूरा संभालते आए है, अभी भी गहलोत का मेवाड़ प्रेम कायम है, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी इस चुनाव से पहले बांसवाड़ा में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की सभा करवा दी तो मेरा गौरव-मेरा बूथ भी उदयपुर में किया।