RAJASTHAN – वन अधिकार का हिसाब-किताब ऑनलाइन होगा
– सरकार ने शुरू की तैयारियां
RAJASTHAN – वन अधिकार का हिसाब-किताब ऑनलाइन होगा
मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. वन अधिकार कानून को लेकर निरस्त दावों की संख्या बढ़ती गई और जो दावे निरस्त किए गए उनकी सुनवाई तक नहीं करने के आरोप लगे है। वन अधिकार कानून में आदिवासियों को हो रही परेशानियों को दूर करने के लिए राजस्थान सरकार अब इस व्यवस्था को ऑनलाइन भी करने जा रही है। वन अधिकार के तहत जो आवेदन होते है उनको नीचे के स्तर पर, बाद में उपखंड स्तर व जिला स्तरीय समितियों से गुजरना होता है, दावे अलग-अलग स्तर पर निरस्त कर दिए जाते है जिससे प्रदेश में निरस्त दावों की संख्या करीब 36 हजार है। अब प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही नई सरकार ने मन बनाया है कि इस सिस्टम को सुधारा जाएगा। वैसे सरकार तय कर रही है कि वन अधिकार पट्टे जारी करने के लिए एक प्रभावी ऑनलाइन व्यवस्था की जाएगी।
सरकार ने भी माना…
इधर, सरकार ने माना है कि कई बार आदिवासियों के वन अधिकार दावों को छिटपुट आपत्तियों के आधार पर निर्धारित प्रक्रिया की पूर्ण पालना किए बिना खारिज कर दिया जाता है, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जो बयान दो दिन पहले आया उसमें भी इसका उल्लेख था, गहलोत ने कहा था कि प्रदेश में निरस्त किए गए व्यक्तिगत दावों के पुनरीक्षण के लिए राज्य सरकार जमीनी स्तर पर प्रयास शुरू कर चुकी है।
आदिवासियों का दर्द
– अन्य परंपरागत वन निवासियों के दावों की फाइलें नीचे से आगे तक नहीं बढ़ाई, निरस्त कैसे कर दी
– दावेदारों को बिना वजह चक्कर लगावाया जाता है।
– दावों की पुर्नजांच की घोषणाएं कई बार हुई लेकिन जांच की ही नहीं गई।
– ग्रामसभा की मंजूरी के बावजूद उपखंड समिति ने दावे बिना किसी कारण के निरस्त कर दिए।
– दिसम्बर 2018 के बाद से डेटा जनजाति आयुक्तालय ने अपडेट ही नहीं किए
नियमों की ऐसे तोड़ रहे एजेंसियां
1. ग्राम सभा की ओर से भेजे गए दावे उपखंड स्तरीय समितियों ने खारिज कर दिए जबकि उनको इसकी शक्ति नहीं है।
2. उपखंड स्तरीय समिति दावे में कमी-पेशी है तो उसे पूरे करने के लिए संबंधित ग्राम सभा को वापस भेजेगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
3. नियमों में तो जिला स्तरीय समिति भी दावों को निरस्त नहीं कर सकती है और अगर ऐसा करती है तो उसे संबंधित ग्राम सभा को लिखित में बताना होता।
(जैसा की जंगल जमीन संगठन ने बताया)
प्रदेश के आंकड़े एक नजर में
वन अधिकार के दावे प्राप्त हुए 76,553
निरस्त किए दावे 36,401
अधिकारी पत्र जारी किए 38,323
सामुदायिक अधिकार के दावे आए 2010
प्रकायाधीन सामुदायिक अधि. दावे 1829
जारी किए सामुदायिक अधि. दावे 181
(आंकड़े दिसम्बर 18 तक जनजाति आयुक्त उदयपुर के अनुसार)