निकायों को कमजोर करने के प्रयास इस प्रकार के आदेश निकायों को कमजोर करने के प्रयास है। राजस्थान नगर पालिका पंचम संशोधन अधिनियम 2017 जो मई 2017 में किया गया तब नगर पालिका अधिनियम की धारा 49 में उपधारा जोडकऱ निकायों प्रमुखों की शक्तियों में वृद्धि की। उसमे ंनिकाय प्रमुखों को अधिकारी व कर्मचारियों पर अधीक्षण एवं नियंत्रण के अधिकार प्रदान किए गए थे। उक्त पत्र नगर पालिका अधिनियम की भावना व मंशा के विपरीत है। मैने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है कि इस परिपत्र पर गंभीरता से विचार करते हुए उसे निरस्त किया जाए।
– गुलाबचंद कटारिया, नेता प्रतिपक्ष राज. विधानसभा
यह आदेश गलत है, जनता चुनती है प्रतिनिधियों को
– श्रीचंद कृपलानी, पूर्व मंत्री यूडीएच एवं स्वायत्त शासन विभाग
ऐसे कैसे निकाल दिया पत्र, नियम-कायदे बने सरकार के जो सलाहकार है, अधिकारी है उनको इतना तो ज्ञान होना चाहिए कि विधानसभा में अधिनियम पास कर रखे है और जो शक्तियां दे रखी है वह एक साधे पत्र पर वापस ले लेते है। यह सरासर गलत है। पत्र भी बिना किसी धारा के उल्लेख करते हुए निकाल दिया गया। मै इस बारे में सरकार को पत्र लिखकर इस परिपत्र को वापस लेने की मांग करेंगे।
– जी.एस. टांक, महापौर उदयपुर नगर निगम
सरासर गलत किया गया है जनप्रतिनिधियों को जनता चुनती है और उनके अधिकार छीन लिए जाते है तो यह गलत है। कुठाराघात किया जा रहा है। अधिकारी तो अपनी मनमर्जी करेंगे, जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में क्या करना है यह ज्यादा बता सकते है और कर सकते है।
– राजेश चपलोत, अध्यक्ष नगर पालिका फतहनगर-सनवाड़
– हेमंत साहू, अध्यक्ष नगर पालिका भींडर
– राजेश्वरी शर्मा, अध्यक्ष नगर पालिका सलूंबर
– चंदा मीणा, अध्यक्ष नगर पालिका कानोड़
– के. के. शर्मा, अध्यक्ष कांग्रेस स्थानीय निकाय प्रकोष्ठ व पूर्व नेता प्रतिपक्ष नगर निगम