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उदयपुर

जनप्रतिनिधि क्या घंटी बजाएंगे! नगर निगम के मुखिया बोले अधिकार क्यों छीन रही सरकार

महापौर, सभापति व पालिका अध्यक्ष को पत्रावली नहीं देने के परिपत्र का विरोध

उदयपुरJun 23, 2020 / 11:44 am

Mukesh Hingar

उदयपुर नगर निगम

उदयपुर नगर निगम

मुकेश हिंगड़ / उदयपुर. शहरी सरकारों के मुखियाओं के पास विकास की पत्रावलियां नहीं जाने के राज्य सरकार के परिपत्र से नगर पालिका से लेकर नगर निगम तक विरोध के स्वर सामने आए है। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि जब जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों के पास पत्रावलियां नहीं आएगी तो फिर उनके मायने क्या रह जाएंगे। हमने उदयपुर जिले में जो नगर निकाय है उनके मुखियाओं से बातचीत की तो सभी गुस्से में है। बोले कि सरकार तक अपनी बात पहुंचाएंगे कि इस परिपत्र को वापस लिया जाए। इधर, विस में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और बोले कि विस में नगर पालिका अधिनियम जो जो संशोधन पारित किया गया है यह परिपत्र उसके विपरीत है। एक निकाय के मुखिया बोले कि फिर अधिकार ही छीनने है तो वे क्या घंटी बजाएंगे। उदयपुर की कानोड़ नगर पालिका में कांग्रेस की चेयरमैन ने भी इसे ठीक करार नहीं दिया तो शहर में कांग्रेस निकाय प्रकोष्ठ ने सरकार के परिपत्र के साथ का ही राग अलापा है। पूर्व स्वायत्त शासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी ने भी इसे गलत बताया है। इस मुद्दे पर प्रस्तुत है प्रमुख लोगों से बातचीत-

निकायों को कमजोर करने के प्रयास

इस प्रकार के आदेश निकायों को कमजोर करने के प्रयास है। राजस्थान नगर पालिका पंचम संशोधन अधिनियम 2017 जो मई 2017 में किया गया तब नगर पालिका अधिनियम की धारा 49 में उपधारा जोडकऱ निकायों प्रमुखों की शक्तियों में वृद्धि की। उसमे ंनिकाय प्रमुखों को अधिकारी व कर्मचारियों पर अधीक्षण एवं नियंत्रण के अधिकार प्रदान किए गए थे। उक्त पत्र नगर पालिका अधिनियम की भावना व मंशा के विपरीत है। मैने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है कि इस परिपत्र पर गंभीरता से विचार करते हुए उसे निरस्त किया जाए।
– गुलाबचंद कटारिया, नेता प्रतिपक्ष राज. विधानसभा

यह आदेश गलत है, जनता चुनती है प्रतिनिधियों को
यह कोई बात थोड़े होती है। प्रजातंत्र में जनप्रतिनिधियों को जो अधिकार मिले है। जनता जनप्रतिनिधियों को चुनती है। ऐसे में ऐसे आदेश निकालना गलत है। इसका मतलब तो यह निकलता है कि कांग्रेस सरकार को प्रजातंत्र में विश्वास नहीं करती है। यह बहुत निदंनीय है।
– श्रीचंद कृपलानी, पूर्व मंत्री यूडीएच एवं स्वायत्त शासन विभाग

ऐसे कैसे निकाल दिया पत्र, नियम-कायदे बने

सरकार के जो सलाहकार है, अधिकारी है उनको इतना तो ज्ञान होना चाहिए कि विधानसभा में अधिनियम पास कर रखे है और जो शक्तियां दे रखी है वह एक साधे पत्र पर वापस ले लेते है। यह सरासर गलत है। पत्र भी बिना किसी धारा के उल्लेख करते हुए निकाल दिया गया। मै इस बारे में सरकार को पत्र लिखकर इस परिपत्र को वापस लेने की मांग करेंगे।
– जी.एस. टांक, महापौर उदयपुर नगर निगम

सरासर गलत किया गया है

जनप्रतिनिधियों को जनता चुनती है और उनके अधिकार छीन लिए जाते है तो यह गलत है। कुठाराघात किया जा रहा है। अधिकारी तो अपनी मनमर्जी करेंगे, जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र में क्या करना है यह ज्यादा बता सकते है और कर सकते है।
– राजेश चपलोत, अध्यक्ष नगर पालिका फतहनगर-सनवाड़
कैसे लेंगे जनहित के फैसलें

यह बात अच्छी नहीं है, लोकतंत्र की प्रक्रिया के अनुरुप नहीं है। चेयरमैन के पास पत्रावली नहीं आएगी तो कैसे जनहित के फैसले ले सकेंगे। स्थानीय निकाय के मुखिया के अधिकार सीमित करना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है।
– हेमंत साहू, अध्यक्ष नगर पालिका भींडर
सरकार की मंशा क्या है

इसका हम विरोध करते है। स्वायत्त शासन मंत्री व डीएलबी निदेशक को लिखेंगे। जनप्रतिनिधियों की शक्तियां कम करने के पीछे मंशा क्या है सरकार की? जनता की जरूरत के अनुसार विकास कार्य कराने को लेकर ज्यादा जानकारी तो जनता के बीच रहने वाले जनप्रतिनिधि ही जानते है और निर्णय वहीं ले पाएंगे। इस प्रकार के आदेशों से नौकरशाही हावी होगी, भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा, आम आदमी किसके समक्ष अपील करेंगे।
– राजेश्वरी शर्मा, अध्यक्ष नगर पालिका सलूंबर
पत्रावलियां मुखिया को दी जानी चाहिए

भारतीय लोकतांत्रित प्रणाली में जनता द्वारा जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधियों के पास कोई भी पत्रावलियां हो आवश्यक व अनिवार्य रूप से भिजवाने से ही लोकतंत्र की सार्थकता सिद्ध होती है। इससे विकास सरल व सुगम व भ्रष्टाचार से मुक्त होगा।
– चंदा मीणा, अध्यक्ष नगर पालिका कानोड़
कुछ गड़बड़ी आई होगी इसलिए फैसला लिया होगा

सरकार ने फैसला लिया है। सरकार के कुछ गड़बड़ सामने आई होगी। व्यक्तिगत सरकार तो निकायों में आयुक्त है ही, वे जनहित की बात देखते है, ऐसी कोई बात नहीं है।
– के. के. शर्मा, अध्यक्ष कांग्रेस स्थानीय निकाय प्रकोष्ठ व पूर्व नेता प्रतिपक्ष नगर निगम

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