आड़ावल के दूसरे दिन का आगाज राजस्थानी बाल फिल्म ‘गोरु’ से
उदयपुर. चार दिवसीय राजस्थान साहित्य महोत्सव ‘आडावळ’ के दूसरे दिन शनिवार की शुरुआत सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में हास्य विनोद से भरपूर पुरस्कृत राजस्थान बाल फिल्म ‘गोरु’से हुई। फिल्म में राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र में निवासरत राईका जाति के किशोर गोरू पर बनी फिल्म में राजस्थानी लोक संस्कृति और ग्रामीण जीवन के अनछुए भावात्मक पक्ष को गरीबी, निरक्षरता जैसी संघर्ष की स्थिति को बताया। फिल्म में छात्र-छात्राओं ने राजस्थानी भाषा के ठेठ देसी अंदाज से अपने घर – परिवार में बोली जाने वाली राजस्थानी भाषा के अपनत्व को महसूस किया। राजस्थान में जल की समस्या के कारण आम जनमानस और पशुओं के चारे पानी की स्थिति जैसे महत्वपूर्ण पक्षों पर फिल्म में प्रकाश डाला गया है। प्रथम सत्र में राजस्थानी सिनेमा में रोजगार के अवसर, फिल्मसिटी निर्माण पर चर्चा मुम्बई से आए राजस्थानी सिनेमा के चर्चित नाम निर्देशक, लेखक, अभिनेता, रवि झांकल, निशांत भारद्वाज, क्षितिज कुमार, रामकृष्ण चोयल ने चर्चा की और दर्शकों से रूबरू हुए।
दूसरे सत्र में प्रदेश की राजभाषा के लाभ और उसका राष्ट्र भाषा के विकास में योगदान विषय पर रतन सिंह चाम्पावत और सुरेंद्र राव ने चर्चा में बताया कि राजस्थानी भाषा की विस्तृत शब्दावली है। राजस्थानी भाषा के संस्कार, संस्कृति सम्पूर्ण भारत की संस्कृति है । राजस्थानी को राजभाषा के रूप में मान्यता राष्ट्र भाषा के विकास में मदद, आम जनमानस को मदद मिलेगी। इस अवसर पर डॉ. परमेन्द्र दशोरा, डॉ. देव कोठारी ने भी विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर आईदान सिंह भाटी ने ज्योतिपुंज पंड्या की राजस्थानी पुस्तक “धरतीराणु” एवं राजस्थानी भाषा और संस्कृति प्रचार मंडल के राजस्थानी कलेंडर का विमोचन किया और पुस्तक समीक्षा उपेंद्र अणु ने की।
शाम को विवेकानंद सभागार में कपिल पालीवाल के निर्देशन में राजस्थानी काव्य संध्या का किया गया। इसमें आईदान सिंह भाटी, मुकुट मणिराज, सोहन चौधरी, राजकुमार बादल, पुरुषोत्तम पल्लव, हिम्मत सिंह उज्ज्वल, उपेंद्र अणु आदि ने रचनापाठ किया।
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