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उदयपुर

सरकारी प्रयास को ठेंगा दिखा रही अफसरशाही की लापरवाही

rajiv gandhi gramotthan shivir राजीव गांधी ग्रामोत्थान शिविर में हुई औपचारिकताएं, शिकायत दर्ज करा रहे लोगों ने नाराजगी जताई और मंसूबे पर खड़े किए सवाल

उदयपुरSep 12, 2019 / 02:24 am

Sushil Kumar Singh

सरकारी प्रयास को ठेंगा दिखा रही अफसरशाही की लापरवाही

सरकारी प्रयास को ठेंगा दिखा रही अफसरशाही की लापरवाही

उदयपुर. rajiv gandhi gramotthan shivir शिविरों के माध्यम से आमजन की समस्याएं निपटाने के लिए प्रदेश की सरकार state government भले ही कितने दावे करे, लेकिन धरातल पर ऐसे शिविरों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। अफसरशाही में उलझी सरकारी व्यवस्थाएं जरूरतमंदों के लिए केवल औपचारिकता तक सीमित हैं। ऐसा हम नहीं कहते मनवाखेड़ा में बुधवार को हुए राजीव गांधी ग्रामोत्थान शिविर के हाल खुद-ब-खुद इसकी बानगी बयां करते दिखे। शिविरों की असलियत और सरकारी प्रयासों से लोगों को मिलने वाले फायदों की वस्तुस्थिति जानने पहुंची पत्रिका टीम को मौके पर चौंकाने वाले हाल मिले। सुबह १० बजे से शुरू हुए शिविर में ग्रामीणों की भीड़ जुटने के बाद भी जिम्मेदारों का देरी से पहुंचने का सिलसिला जारी रहा। बाद में पंचायत समिति के ओहदेदार शिविर तक पहुंचे। खास यह रहा कि सरकारी शिविर के माध्यम से पैराफेरी में पट्टे लेने पहुचें ग्रामीणों को उस समय निराशा हाथ लगी, जब सीट पर बैठे अधिकारियों ने लोगों से स्पष्ट किया कि दस्तावेज के आधार पर पट्टे बांटने के लिए उन्हें कोई आदेश नहीं मिले हैं। दूसरी ओर एक किसान ने पट्टे के लिए फाइल आगे बढ़ाई तो जवाब मिला कि शिविर में यूआइटी पैराफेरी के पट्टों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। कार्रवाई चाहिए तो यूआईटी में आवेदन करें। इसके अलावा अन्य शिविरों में पट्टे बांटे जा रहे हैं। इस जवाब से कुछ किसान खफा भी हो गए। यहां तक बोल उठे कि सरकारी शिविर में यूआईटी के जिम्मेदारों को भी बुला लेते। कुछ किसानों ने शिविर में सीवर लाइन को लेकर समस्या बताई तो सुनने वाले ओहदेदार ने बिना देर लगाए कहा कि उनके यहां तो नगर निगम से कोई नहीं है। इसी प्रकार शिविर के बहुत से खट्टे-मीठे अनुभव सामने आए।
विशेष शिविर में साधारण कार्य

शिविर के उद्देश्य को लेकर ग्रामीणों ने मौके पर सवाल उठाए। पत्रिका टीम के समक्ष उनकी बात कहते हुए ग्रामीणों ने कहा कि शिविर में कुछ भी विशेष नहीं रहा। शिविर के माध्यम से पेंशनर, पालनहार योजना जैसे साधारण कार्यों को गति मिली है। पट्टों की समस्या का हल शिविर में नहीं निकल सका। समय से पहले शिविर खत्मटीम ने सरकारी मंशा को पूरा करने वाले शिविर में रूककर सच जानने की पहल की तो पता चला कि शाम ५ बजे तक प्रस्तावित शिविर में दोपहर दो बजे बाद कोई सांस लेने वाला नहीं है। टीम ने जिम्मेदारों से शिविर जल्दी खत्म करने की वजह पूछी तो जवाब मिला कि बारिश हो रही है। इसके बाद शिविर स्थल पर सन्नाटा ही पसरा रहा।
प्राथमिकता पर पट्टे

उप मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी परिपत्र में स्पष्ट कहा गया है कि शिविरों में पट्टा वितरण, आवास योजना के भूमिहीन लाभार्थियों को भूखंड आवंटन, केन्द्र की मानधन योजना में पंजीकरण, सामाजिक सुरक्षा पेंशन पंजीकरण, महिला शक्ति समूहों का गठन सहित अन्य आवश्यक कार्य अंजाम दिए जाएंगे। बताया तक नहींशिविर में शामिल जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों की बातचीत में सामने आया कि शिविर को लेकर यूआइटी व नगर निगम को अवगत ही नहीं कराया गया है। पटवारी ने खुद कबूला कि उसे किसी स्तर पर शिविर की जानकारी नहीं मिली। ऐसे में शिविर के महत्व पर सवाल उठ रहे हैं।
खानापूर्ति तक सीमिति शिविर

ग्रामीणों के बीच शिविर में मिलने वाले पट्टों को लेकर उम्मीदें थी, लेकिन पट्टे नहीं मिलने की सूचना के बाद ग्रामीण निराश दिखाई दिए। शिविर में लगे टेंट के नीचे आम दिनों में होने वाले पंचायत के कामों को पूरा किया गया।
विष्णु पटेल, किसान, मनवाखेड़ा

जमीनें यूआईटी के नाम है। पंचायतें पट्टे नहीं दे सकती है। हमारी पंचायत में शिविर पहले लग चुका है, लेकिन कोई फायदा गांव वालों को नहीं मिला। ये शिविर सिर्फ दिखावे तक सीमिति है।
विमल भादविया, सरपंच भोईयों की पंचोली

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