पूरे दिन चला राखी बांधने का दौर, एप्स भी बने जुडऩे का माध्यम
रक्षाबंधन पर्व पर इस बार भद्रा का साया नहीं होने से पूरे दिन राखी बांधी गई। सुबह से ही घरों में उल्लासित माहौल नजर आया। बहनों ने भाइयों को तिलक लगा राखी बांधी और मिठाई खिला कर, श्रीफल भेंट किया। भाइयों ने बहनों को उपहार व नकद राशि दी। वहीं, शहर के आसपास या शहर में रहने वाली विवाहित बहनें भाइयों के घर पहुंची। उन्होंने मास्क लगा कर और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए राखी बांधी। लोगों ने परिवार में बड़े आयोजन से दूरी बनाए रखी ताकि अधिक सदस्य ना जुटें। वहीं, जो बहनें इस बार भाइयों के घर नहीं आ पाई, उनके लिए तकनीक ने सब कुछ आसान कर दिया। इन दिनों काफी उपयोग में लिए गए मीटिंग एप्स के जरिये ही भाई-बहन आपस में जुड़े और राखी की थाली सजाई, भाई की आरती उतारी और वर्चुअल तरीके से ही राखी बांध कर गले लगाया। इस बार स्वदेशी राखियां ही बिकीं और चीनी राखियां बाजार से बिल्कुल गायब हो गईं। राखी से एक दिन पहले तक शहर में राखियों की खरीद हुई। वहीं, जागरूकता दिखाते हुए खरीदारों ने चीनी राखियों की मांग ही नहीं की।
रक्षाबंधन पर्व पर इस बार भद्रा का साया नहीं होने से पूरे दिन राखी बांधी गई। सुबह से ही घरों में उल्लासित माहौल नजर आया। बहनों ने भाइयों को तिलक लगा राखी बांधी और मिठाई खिला कर, श्रीफल भेंट किया। भाइयों ने बहनों को उपहार व नकद राशि दी। वहीं, शहर के आसपास या शहर में रहने वाली विवाहित बहनें भाइयों के घर पहुंची। उन्होंने मास्क लगा कर और सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए राखी बांधी। लोगों ने परिवार में बड़े आयोजन से दूरी बनाए रखी ताकि अधिक सदस्य ना जुटें। वहीं, जो बहनें इस बार भाइयों के घर नहीं आ पाई, उनके लिए तकनीक ने सब कुछ आसान कर दिया। इन दिनों काफी उपयोग में लिए गए मीटिंग एप्स के जरिये ही भाई-बहन आपस में जुड़े और राखी की थाली सजाई, भाई की आरती उतारी और वर्चुअल तरीके से ही राखी बांध कर गले लगाया। इस बार स्वदेशी राखियां ही बिकीं और चीनी राखियां बाजार से बिल्कुल गायब हो गईं। राखी से एक दिन पहले तक शहर में राखियों की खरीद हुई। वहीं, जागरूकता दिखाते हुए खरीदारों ने चीनी राखियों की मांग ही नहीं की।
सूना दिखा सेंट्रल जेल कोरोना महामारी के कारण इस बार सेंट्रल जेल में बंदियों के राखी बांधने की इजाजत नहीं दी गई, जिससे सेंट्रल जेल सूना दिखाई दिया। गौरतलब है कि जेल में बंद कैदियों के लिए उनकी बहनें राखी लेकर पहुंचती है और राखी बांधती है। इस दौरान कई बहनों और भाइयों की आंखों से आंसू छलक जाते थे। अपने भाई को राखी बांधने के लिए बहनें कतार में इंतजार करती थीं, लेकिन यहां हर साल जैसा नजारा देखने को नहीं मिला।
रोडवेज में नहीं दिखी भीड़
रोडवेज में बहनों के लिए निशुल्क यात्रा की सौगात के बावजूद इस बार राखी पर पहले जैसी महिलाओं की भीड़ नहीं रही। कोरोना संक्रमण को देखते हुए कम ही महिलाएं यात्रा के लिए पहुंची। वहीं, बस स्टेंड पर यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था थी, वहीं, महिलाएं भी मास्क पहने थीं तो उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए ही बस में बैठाया गया।
रोडवेज में बहनों के लिए निशुल्क यात्रा की सौगात के बावजूद इस बार राखी पर पहले जैसी महिलाओं की भीड़ नहीं रही। कोरोना संक्रमण को देखते हुए कम ही महिलाएं यात्रा के लिए पहुंची। वहीं, बस स्टेंड पर यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था थी, वहीं, महिलाएं भी मास्क पहने थीं तो उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए ही बस में बैठाया गया।