—– 200 पॉइंट रोस्टर और 13 पॉइंट रोस्टर प्रणाली में अंतर – समझने वाली बात यह हैं कि 13 पॉइंट रोस्टर के अनुसार विभागीय आधार पर आरक्षण दिया जायेगा, जिसके अंतर्गत सभी वर्गों को आरक्षण तभी मिलेगा जब विभाग में न्यूनतम 14 पद हो। प्रथम 1.3 पद अनारक्षित, चौथा पद ओबीसी, 5.6 पद फिर से अनारक्षित, 7वाँ पद अनुसूचित जाति, 8वां पद ओबीसी, फिर 9.10.11 नंबर का पद अनारक्षित और 12वां पद ओबीसी, 13वां पद अनारक्षित और 14 वां नंबर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। साधारण भाषा में कहा जाए तो 14वां पद आदिवासियों के लिए आरक्षित होता हैं, क्योकि अधिकांश विभाग इतने बडे़ नही होते कि दलित और आदिवासी अभ्यर्थी की बारी आए। जैसे किसी कॉलेज विश्विद्यालय में 100 अध्यापक है तो उसमें लगभग 27 अध्यापक ओबीसी, कैटेगिरी, 12-१3 अध्यापक एससी कैटेगिरी तथा 7.8 अध्यापक एसटी कैटेगिरी से लगेंगे। इसके लागू होने पर वंचित तबकों के प्रतिनिधित्व पर असर जरूर पडेग़ा।
—– ये है आदेश: प्रो. बीआर बामनिया का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने 200 पॉइंट रोस्टर प्रणाली के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया है। अब 13 पाइंट रोस्टर के हिसाब से कॉलेज विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण लागू करना पडेग़ा। हाल में इलाहाबाद कोर्ट ने विवि में २०० पाइन्ट रोस्टर की प्रणाली लागू हो रही है, उसे रोककर विभागवार रोस्टर प्रणाली लागू की जाए, इसमें सरकार के नियमानुसार आरक्षण लागू हो। इसे चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के नियमों को ही माना जाए। बामनिया मानते है कि इस नियमों से एसटी वर्ग की नियुक्तियों की संख्या कम हो जाएगी। —–हां विभाग को यूनिट मानकर नियुक्तियों को करने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए हैं, इसे पूरा समझने के बाद इस पर चर्चा की जा सकती है। हालांकि यहां तो पहले से ही इसी आधार पर नियुक्तियां हो रही हैं।
पूरणमल यादव, कॉर्डिनेटर अजा-जजा सेल एमएलएसयू उदयपुर —– अपने यहां तो पहले से ही सरकार के निर्देशानुसार विभाग को यूनिट मानकर नियुक्तियां की गई है, इसमें नियमानुसार रोस्टर लगाया गया है। वर्ष २०१२ में ये आदेश राज्य सरकार ने किए थे।
मुकेश बारबर, डिप्टी रजिस्ट्रार एमएलएसयू उदयपुर