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उदयपुर

मौताणे ने रोकी रोडवेज की राह, रूट छोड़ रहे ड्राइवर

खस्ताहाल बसों से बढ़ रहे हादसे, आदिवासी अंचल में रोडवेज बस संचालन मुश्किल, चालकों के साथ आए दिन होती मारपीट

उदयपुरFeb 27, 2020 / 12:39 pm

Pankaj

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उदयपुर . घाटे और खस्ताहाल बसों से परेशान रोडवेज प्रबंधन के सामने एक और बड़ी समस्या खड़ी है, जिसका कोई हल नहीं निकल पा रहा है। आदिवासी अंचल में मौताणा जैसी प्रथा भी रोडवेज की राह में रोडा बनी है। आदिवासी अंचल में हुए किसी हादसे में मौत होने पर जिम्मेदार ड्राइवर को मानते हुए मौताणा राशि वसूली जाती है। निगम की नौकरी करते ड्राइवर कुप्रथा का शिकार हो रहे हैं। लिहाजा ड्राइवर मार्ग बदलने की गुहार लगाते हैं। कई बार नौकरी छोडऩे की भी नौबत आ रही है।
आदिवासी अंचल में जहां एक ओर स्थानीय लोगों की मनमानी चलती है, वहीं दूसरी ओर रोडवेज चालकों को प्रबंधन के आदेशों की पालना पर जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। एक ओर जहां बसों की कमी है, वहीं जो बसें आदिवासी अंचल में संचालित है, वे खस्ताहाल है। ज्यादातर हादसे बसों की हालत खराब होने के कारण होते हैं, जिसका खमियाजा चालकों को उठाना पड़ता है। चालकों के साथ मारपीट की घटनाएं आम हो गई है, वहीं कई बार जेब से मुआवजा चुकाना पड़ता है। छोटे-मोटे मवेशियों के मर जाने पर ही चालकों को भारी कीमत चुकानी पड़ती है। लिहाजा कई बसों को बंद भी कर दिया गया है।
‘कभी बैठकर देखो साहब, क्या हाल है बसों का’
झाड़ोल और कोटड़ा मार्ग पर बसें चलाने वाले चालकों ने एक स्वर में कहा कि ‘कभी बस में बैठकर देखें, इतनी खस्ताहाल है कि दस किलोमीटर के सफर में ही उकता जाएंगे। जर्जर बसों में चालक के करीब इतनी आवाज रहती है कि कान में रुई डालनी पड़ जाए।
खस्ताहाल बसें बड़ी परेशानी

झाड़ोल मार्ग के बस चालकों ने बताया कि बसों की हालत बेहद खराब है। समय पर ब्रेक नहीं लगते। पूरे मार्ग पर बस पंक्चर होने पर सुधारने वाला नहीं मिलता। रोडवेज बसों के संचालन में घंटों का अंतराल है। ऐसे में बस खराब होने पर यात्रियों को राह में ही उतारना पड़ता है।
आदिवासी अंचल में बंद हुई बसें

– उदयपुर से लसाडिय़ा-धरियावद मार्ग
– उदयपुर से खेरवाड़ा-आबूरोड मार्ग

– उदयपुर से झाड़ोल-कोटड़ा-आबूरोड
– उदयपुर से कोटड़ा-अम्बासा मार्ग

– उदयपुर से झाड़ोल-खेड़ब्रह्मा मार्ग
– उदयपुर से ओगणा-मोहम्मद फलासिया
– उदयपुर से सामोली-कोटड़ा मार्ग
– उदयपुर से ईंटालीखेड़ा-आसपुर मार्ग

– उदयपुर से सलूम्बर-बिछीवाड़ा मार्ग

केस 1. पाई-उन्दरी में दो माह पूर्व रोडवेज बस से हुए हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई। आदिवासी अंचल के लोगों ने ड्राइवर के साथ जमकर मारपीट की। मौताणे तक की बात आई। ड्राइवर माधूलाल ने उस मार्ग पर जाना ही छोड़ दिया। आखिर प्रबंधन ने उसे बांसवाड़ा मार्ग पर लगा दिया।
केस 2. पानरवा के पास 6 माह पहले सामने से आ रही जीप को बचाने के प्रयास में रोडवेज बस नदी में उतर गई। हादसे में व्यक्ति की मौत हो गई। जब मौताणा मांगने की बात आई तो भयभीत ड्राइवर जमनालाल ने बस चलाना ही छोड़ दिया। वह लौटकर नहीं आया।
केस 3. पायाखेड़ा नान्देश्मा के पास में साइड नहीं देने पर बाइक चालकों ने रोडवेज चालक सोहनलाल को इतना मारा कि हाथ-पैर टूट गए। मेडिकल लीव पर चल रहे चालक को प्रबंधन का साथ भी नहीं मिला। न ही उसे इस दरमियान नियमानुसार वेतन का लाभ मिल पाया।
केस 4. इसी माह में एक घटना हुई। इसमें झाड़ोल क्षेत्र में निजी जीप चालकों ने मनमानी करते हुए रोडवेज चालक देवीसिंह को खूब पीटा। उसका भी हाथ फ्रेक्चर हो गया। चालक अभी भी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो पाया है। घटना के कारणों का भी पूरी तरह से पता नहीं चल पाया।
आंकड़े एक नजर
– 120 : किलोमीटर उदयपुर से कोटड़ा
– 02 बसें उदयपुर से कोटड़ा आती-जाती

– 50 : किलोमीटर उदयपुर से झाड़ोल
– 10 : बसें झाड़ोल मार्ग पर आती-जाती

– 50 : किलोमीटर झाड़ोल से कोटड़ा की दूरी
इनका कहना…
झाड़ोल जैसे मार्ग पर आदिवासी अंचल की मौताणा प्रथा का प्रभाव है। हादसा होने पर चालक मार्ग छोडऩे की गुहार लगाते हैं। सालभर में 5-10 घटनाएं तो ऐसी हुई है, जिनसे चालक-परिचालकों को परेशानी उठानी पड़ी। बसों की कमी है, वहीं सड़कें खराब होने से नई बसें नहीं चला पा रहे हैं।
महेश उपाध्याय, मुख्य प्रबंधक, उदयपुर आगार
खस्ताहाल बसों का संचालन मुश्किल हो रहा है। चालक संभाले नहीं संभाल पा रहे हैं। तुरंत ब्रेक नहीं लग पाने के कारण आए दिन छोटे-बड़े हादसे होते हैं। प्रबंधन तो नियुक्त करके भूल जाता है और घटनाओं के शिकार चालक होते हैं। आदिवासी अंचल में सेवाएं दे रहे चालकों का शोषण हो रहा है।
मोतीलाल शर्मा, अध्यक्ष, बीएमएस रोडवेज फैडरेशन

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