झाड़ोल और कोटड़ा मार्ग पर बसें चलाने वाले चालकों ने एक स्वर में कहा कि ‘कभी बस में बैठकर देखें, इतनी खस्ताहाल है कि दस किलोमीटर के सफर में ही उकता जाएंगे। जर्जर बसों में चालक के करीब इतनी आवाज रहती है कि कान में रुई डालनी पड़ जाए।
– उदयपुर से खेरवाड़ा-आबूरोड मार्ग – उदयपुर से झाड़ोल-कोटड़ा-आबूरोड
– उदयपुर से कोटड़ा-अम्बासा मार्ग – उदयपुर से झाड़ोल-खेड़ब्रह्मा मार्ग
– उदयपुर से ओगणा-मोहम्मद फलासिया
– उदयपुर से ईंटालीखेड़ा-आसपुर मार्ग – उदयपुर से सलूम्बर-बिछीवाड़ा मार्ग केस 1. पाई-उन्दरी में दो माह पूर्व रोडवेज बस से हुए हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो गई। आदिवासी अंचल के लोगों ने ड्राइवर के साथ जमकर मारपीट की। मौताणे तक की बात आई। ड्राइवर माधूलाल ने उस मार्ग पर जाना ही छोड़ दिया। आखिर प्रबंधन ने उसे बांसवाड़ा मार्ग पर लगा दिया।
केस 2. पानरवा के पास 6 माह पहले सामने से आ रही जीप को बचाने के प्रयास में रोडवेज बस नदी में उतर गई। हादसे में व्यक्ति की मौत हो गई। जब मौताणा मांगने की बात आई तो भयभीत ड्राइवर जमनालाल ने बस चलाना ही छोड़ दिया। वह लौटकर नहीं आया।
केस 4. इसी माह में एक घटना हुई। इसमें झाड़ोल क्षेत्र में निजी जीप चालकों ने मनमानी करते हुए रोडवेज चालक देवीसिंह को खूब पीटा। उसका भी हाथ फ्रेक्चर हो गया। चालक अभी भी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो पाया है। घटना के कारणों का भी पूरी तरह से पता नहीं चल पाया।
आंकड़े एक नजर
– 02 बसें उदयपुर से कोटड़ा आती-जाती – 50 : किलोमीटर उदयपुर से झाड़ोल
– 10 : बसें झाड़ोल मार्ग पर आती-जाती – 50 : किलोमीटर झाड़ोल से कोटड़ा की दूरी
झाड़ोल जैसे मार्ग पर आदिवासी अंचल की मौताणा प्रथा का प्रभाव है। हादसा होने पर चालक मार्ग छोडऩे की गुहार लगाते हैं। सालभर में 5-10 घटनाएं तो ऐसी हुई है, जिनसे चालक-परिचालकों को परेशानी उठानी पड़ी। बसों की कमी है, वहीं सड़कें खराब होने से नई बसें नहीं चला पा रहे हैं।
खस्ताहाल बसों का संचालन मुश्किल हो रहा है। चालक संभाले नहीं संभाल पा रहे हैं। तुरंत ब्रेक नहीं लग पाने के कारण आए दिन छोटे-बड़े हादसे होते हैं। प्रबंधन तो नियुक्त करके भूल जाता है और घटनाओं के शिकार चालक होते हैं। आदिवासी अंचल में सेवाएं दे रहे चालकों का शोषण हो रहा है।