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उदयपुर

हक पाने से पहले ही हार गई जिंदगियां

रोडवेज: चार हजार रिटायर्ड कर्मचारी प्रभावित, निगम नहीं दे पाया सेवानिवृत्त परिलाभ, चार साल से बिगड़ी है स्थिति

उदयपुरMar 02, 2020 / 01:16 pm

Pankaj

हक पाने से पहले ही हार गई जिंदगियां

हक पाने से पहले ही हार गई जिंदगियां

पंकज वैष्णव/उदयपुर . घाटे से जूझ रहा राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम (रोडवेज) अपने उन कर्मचारियों को भी हक नहीं दे पाया, जिन्होंने जीवनभर निगम में सेवाएं दीं। ये स्थिति आज से नहीं बल्कि चार साल से बनी हुई है। इस दरमियान रिटायर्ड हुए 4103 कर्मचारी आज भी सेवानिवृत्ति परिलाभ को तरस रहे हैं। बड़ी बात ये कि कई कर्मचारी परिलाभ की खुशी पाने से पहले ही चल बसे। आखिर उनके परिवारों ने कानूनी लड़ाई लड़कर हक हासिल किया।
आंकड़ों में स्थिति
2016 : के बाद नहीं मिले परिलाभ

4103 : वंचित सेवानिवृत्त कर्मचारी
61 : रोडवेज आगार प्रदेश में

114 : वंचित कार्मिक उदयपुर आगार के
केस 01

उदयपुर निवासी नारायण गिरी सेवानिवृत्त हुए। डेढ़ साल पहले मौत हो गई। वे परिलाभ की खुशी नहीं देख पाए। परिवार ने कानूनी प्रक्रिया से हक हासिल किया।
केस 02
ऋषभदेव निवासी नन्दलाल जैन भी सेवानिवृत्ति के बाद चल बसे। वे हमेशा सेवानिवृत्ति परिलाभ मांगते रहे, लेकिन नहीं मिला। परिवार ने कोर्ट के आदेश पर हासिल किया।
केस 03

उदयपुर निवासी मदनलाल पालीवाल बस चालक थे। परिलाभ की मांग करते-करते ही चल बसे। पीडि़त परिवार भी आगे नहीं आया, जो अभी तक परिलाभ को वंचित है।
केस 04
कानोड़ निवासी मुबारिक हुसैन सेवानिवृत्त होने के बाद डेढ़-दो साल पहले चल बसे। परिलाभ को वंचित रहे। आखिर परिवार ने हक मांगा तो निगम प्रशासन ने दिया।

हक के लिए लड़ेंगे

सेवानिवृत्ति परिलाभ कर्मचारियों का हक है। बिगड़े आर्थिक हालात में निगम कर्मचारियों का हक नहीं दे पा रहा है। हम कानूनी लड़ाई लड़कर हक पाने की कोशिश कर रहे हैं। कई कर्मचारी ऐसे हैं, जो सेवानिवृत्त परिलाभ मिलने से पहले ही चल बसे। आखिर उनके आश्रितों ने कानूनी प्रक्रिया से हक हासिल किया। इसमें भी कई कर्मचारियों का ओवर टाइम की राशि नहीं दी गई। कर्मचारियों को हक दिलाने के लिए हम संघर्ष करेंगे।
दिनेश उपाध्याय, अध्यक्ष, सेवानिवृत्त संयुक्त कर्मचारी महासंघ उदयपुर
हक देने में लग रहा अड़ंगा
सेवानिवृत्ति परिलाभ के अलावा रिवाइज पेंशन की भी लड़ाई लड़ रहे हैं, जिन्हें 60-70 हजार वेतन मिलता था, वो महज 2 हजार पेंशन पा रहा है। ऐसे में कैसे घर चल सकता है। हम न्यायालय से जीत गए, लेकिन इपीएफओ ने एसएलपी दायर कर मामले को अटका दिया। तारीख पे तारीख मिल रही है, लेकिन हक नहीं मिल पा रहा है। कर्मचारियों की कड़ी मेहनत की कमाई से पेंशन राशि का हर मारा जा रहा है।
रमेश पोरवाल, प्रदेश संयुक्त महामंत्री, सेवानिवृत्त संयुक्त कर्मचारी महासंघ

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