मामला पता चलते ही राजस्थान पत्रिका ने पड़ताल की। सामने आया कि इन परिवारों की मासिक आय अपेक्षा कई गुना ज्यादा है। प्रशासनिक अनदेखी ऐसी रही कि बिना सत्यापन ये नाम बीपीएल सूची में जोड़ दिए गए। दूसरी ओर, धरातल की हकीकत यह है कि कई पात्र परिवार दफ्तरों, जनप्रतिनिधियों के बीसियों चक्कर काटने के बावजूद अपना नाम नहीं जुड़वा पाते। ठेकेदार टेलर सराड़ा पंचायत समिति में नेता प्रतिपक्ष भी हैं, जिनका छोटा बेटा राकेश चीन में उच्च शिक्षा ले रहा है और पत्नी सरपंच रह चुकी हैं। दूसरी ओर, विधायक की पत्नी सेमारी की मौजूदा सरपंच हैं। प्रशासन का कहना है कि उसे मामले की जानकारी नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि ये नाम बीपीएल में जोडऩे का आधार क्या था? राजनीति पहुंच का फायदा उठाकर पढ़े-लिखे और साक्षर होने के बावजूद बीपीएल में जोड़ दिया गया है। वर्ष 2002 के बीपीएल सेंसस के दौरान यह सब हुआ। ठेकेदार के राजकीय विभागों में करोड़ों के काम चल रहे हैं। ऐसा ही हाल विधायक के बेटों का है। दोनों बेटों के नाम बीपीएल सेंसस सूची में यथावत है।
विधायक बनने से पहले मेरे बेटों का नाम बीपीएल सूची में था। अब हटवा दूंगा। रही बात ठेकेदार टेलर की तो, वह पार्टी के हिसाब से उनके क्षेत्रीय कामों को देखते हैं। उन्हें भी बीपीएल सूची से नाम हटवाने को कहूंगा।
अमृतलाल मीणा, विधायक सलूम्बर
कोई फायदा नहीं लिया
ये बात सही है कि मैं डबल ए क्लास ठेकेदार हूं। बीपीएल सूची में पहले नाम दर्ज था, लेकिन मैंने और परिवार ने कभी इसका फायदा नहीं लिया। मेरा बेटा चीन में है और उसे भी योजना से कोई परिलाभ नहीं मिले हैं।
शांतिलाल टेलर, ठेकेदार