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उदयपुर

इस पेड़ का अस्तित्व होली में जलाने से हो रहा खत्म, आखिर लोहे की होली का उपयोग क्यों नहीं

होली जलाने में सेमल पर कुल्हाड़ी , अस्तित्व खोता पेड़

उदयपुरMar 16, 2019 / 08:38 pm

madhulika singh

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कानोड़. रामायण काल में पंचवटी में पांंच वृक्षों की गणना में औषधीय पेड़ सेमल प्रमुख माना गया था जो आज भी अपने बड़े-बड़े लाल फूूलों के साथ जंंगल की रोनक बढाए हुए है । जंगल का राजा कहलाने वाला सेमल का वृक्ष तेज गर्मी में भी वातावरण को ठण्डा रखता है । कम पानी में भी शान से फलने-फूूलने वाला यह पेेड़ आदिवासी लाेेगोंं में काफी रचा बसा है । होलिका में प्रहलाद बनकर जलने वाला यह सेमल का पेेड़ बहुपयोगी व गुणोंं से भरपूूर है तो क्षेेत्र में सेमल को होलिका का मंगल गीतोंं के साथ रोपा जाता है । जंगलोंं में यह पेेड़ आग लग जाने पर भी सहायक होता है । 40 से 50 मीटर की ऊंचाई वाला यह वृक्ष औषधीय गुणोंं की खान है ,इसका उपयोग कई लाइलाज बीमारियोंं में उपयोग किया जाता है । हर्बल मेडिसिन डॉक्टरोंं के अनुसार, प्रोटीन एवं केल्शियम से भरपूूर इसकी जड़ें ,तना, पत्तिया, गोंद, फल और फूूल सभी उपयोगी हैंं । इसका मानव बीमारियोंं में उपयोग के साथ ही पशुओं के लिए रामबाण ओैैषधि‍ बताया गया है । ग्रांमीण इसके फूूल को सुखाकर घर में सुरक्षित रखते हैंं जिसका बीमारियों में उपयोग किया जाता हैै ।
संंवर्धन व संंरक्षण की जरूरत

होली के दिन आते ही आदिवासी क्षेेत्रोंं के ग्रामीण इस पेेड़ की कटाई कर आस-पास गांंवोंं में होली जलाने के लिए पहुंंचाते हैंं और वहांं से पैसा लेते हैंं । ऐसे में बहुतायत में दिखने वाला यह वृक्ष लुप्त होता जा रहा है । हर वर्ष लोहे की होली जलाकर सेमल को बचाने का संदेश देने वाले अनुभवी मोड़ सिंह गाैैड़ , डॉ. केलाश चौधरी बताते हैंं कि क्षेेत्र में वर्तमान में सेमल का वृक्ष लगभग लुप्त हो गया जिससें दवाई में काम में लेने वाले ग्रामीण काफी चिन्तित है । पूर्व में सेमल का वृक्ष काटते ही नया सेमल लगाया जाता लेकिन अब पेड़ लगाने से लोग दूर होने लगे हैंं । सरकार से सेमल के वृक्ष के काटने पर रोक लगाने की मांग की जाती रही है । ऐसे हालात में सेमल को बचाने के लिए होलि‍का दहन में किसी अन्य वृक्ष का उपयोग किया जाना चाहिए ।
जलती है लोहे की हाेेली

होली जलाने का मतलब भक्त प्रहलाद को आंच नहींं आनी चाहि‍ए लेकिन पेेड़ को प्रहलाद मानकर जलाने से प्रहलाद को भी जलना पड़ रहा है । होली जलाने की परंपरा को कायम रखते हुए कुछ वर्षोंं से लोहे की होली को जलाया जाने लगा है । गत वर्ष नगर के बस स्टेण्ड पर लोहे की होली जलाई गई थी ।
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