संंवर्धन व संंरक्षण की जरूरत होली के दिन आते ही आदिवासी क्षेेत्रोंं के ग्रामीण इस पेेड़ की कटाई कर आस-पास गांंवोंं में होली जलाने के लिए पहुंंचाते हैंं और वहांं से पैसा लेते हैंं । ऐसे में बहुतायत में दिखने वाला यह वृक्ष लुप्त होता जा रहा है । हर वर्ष लोहे की होली जलाकर सेमल को बचाने का संदेश देने वाले अनुभवी मोड़ सिंह गाैैड़ , डॉ. केलाश चौधरी बताते हैंं कि क्षेेत्र में वर्तमान में सेमल का वृक्ष लगभग लुप्त हो गया जिससें दवाई में काम में लेने वाले ग्रामीण काफी चिन्तित है । पूर्व में सेमल का वृक्ष काटते ही नया सेमल लगाया जाता लेकिन अब पेड़ लगाने से लोग दूर होने लगे हैंं । सरकार से सेमल के वृक्ष के काटने पर रोक लगाने की मांग की जाती रही है । ऐसे हालात में सेमल को बचाने के लिए होलिका दहन में किसी अन्य वृक्ष का उपयोग किया जाना चाहिए ।
जलती है लोहे की हाेेली होली जलाने का मतलब भक्त प्रहलाद को आंच नहींं आनी चाहिए लेकिन पेेड़ को प्रहलाद मानकर जलाने से प्रहलाद को भी जलना पड़ रहा है । होली जलाने की परंपरा को कायम रखते हुए कुछ वर्षोंं से लोहे की होली को जलाया जाने लगा है । गत वर्ष नगर के बस स्टेण्ड पर लोहे की होली जलाई गई थी ।