न दूध पिया और न ही पोषाहार बन रहा है
नए सत्र में मिड डे मील के तहत एक भी दिन चूल्हा नहीं जला। कुक कम हेल्पर भी रोज स्कूल पहुंचती है लेकिन जब स्कूल में एक भी बच्चा नहीं तो खाना भी नहीं बनता। अन्नपूर्णा दूध योजना का भी वसू में ग्रामीणों ने बहिष्कार किया, जिससे आज तक एक भी बच्चा दूध योजना से भी लाभान्वित नहीं हुआ। परिसर पूरा सुनसान नजर आता है। प्रधानाध्यापक सहित 6 शिक्षक भी पूरा समय बैठकर गुजारते हैं। सभी बच्चे गांव में अपने अपने घर पर ही दिन बिता रहे हैं, लेकिन बच्चों के भविष्य को लेक र विभाग एवं सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।
जिला प्रमुख के गोद लिए गांव की उपेक्षा
वसू गांव को जिला प्रमुख शांतिलाल मेघवाल ने गोद ले रखा है इसके बावजूद इसकी उपेक्षा हो रही है। ग्रामीणों का कहना है कि जब सभी मापदंड पूरे हैं बावजूद इसके सरकार स्कूल को क्रमोन्नत क्यों नहीं करती? जिला प्रमुख ने विद्यालय विकास के लिए दो कमरों और खेल मैदान कार्य की स्वीकृति दी है। ग्रामीणों क ी टीस है कि आखिर सरकार कब मांग मानेगी।
8वीं उत्तीर्ण की टीसी भी नहीं लेने दे रहे
इधर, विद्यालय से 17 बालिकाएं और 11 बालकों ने आठवीं कक्षा उत्तीर्ण की है, लेकिन ग्रामीण इन बच्चों को टीसी भी नहीं लेने दे रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि स्कूल दसवीं तक होने के बाद बच्चे यहीं पढ़ेंगे। इधर, ग्रामीण भी स्कूल के सामने दीवार के सहारे हल्की छाया में बैठ कर बारी बारी से निगरानी भी कर रहे हैं।
जब भी कोई अधिकारी व जनप्रतिनिधि आता है चंद समय में सभी एकत्रित हो जाते हैं। महिलाएं सबसे आगे होकर मांग करने लगती है।
शांतिलाल मेघवाल, जिला प्रमुख , कई बार ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया लेकिन वे मांग पर अड़े हुए हैं। प्रस्ताव निदेशालय को भेज चुके हैं और पत्रावली के जरिये बार-बार अवगत भी करा रहे हैं। प्रक्रिया जारी है।
आरके गर्ग, डीईओ प्रारम्भिक शिक्षा, उदयपुर रोज ग्रामीणों से समझाईश कर बच्चों को स्कूल भेजने का आग्रह कर रहे हैं लेकिन ग्रामीण मांग पर अड़े हुए हैं। वे नहीं मान रहे हैं। सुनसान स्कूल में समय बिताना भी मुश्किल हो रहा है। उच्चाधिकारियों को अवगत करवा चुके हैं।
नीना अधिकारी,
प्रधानाध्यिापिका, राउप्रावि वसू