चयन से वंचित रही डॉ बरखा चपलोत के दसवीं कक्षा में 72.50, बारहवीं में 78.44 , स्नातक में 71.95, स्नातकोत्तर में 76.33 अंक हैं, वहीं वर्ष 2016 में पीएचडी की उपाधि अर्जित की, लेकिन उसका सुखाडि़या विश्वविद्यालय में भूगोल विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए चयन नहीं हुआ। अभ्यर्थी का कहना है कि इतनी योग्यता है, इसके बावजूद चयन नहीं हुआ, जबकि सामान्य वर्ग में चयनित उर्मी शर्मा पीएचडी तक नहीं है। उनके अंक भी कम हैं। साथ ही चयनित अभ्यर्थी के शोध पत्र भी नहीं हैं।
4 मिनट में निपटाया साक्षात्कार जिम्मेदार जहां तीन स्तरीय चयन प्रक्रिया की बात करते हैं, वहीं अकादमिक स्तर के बाद में जिस दो स्तरों की बात की जाती है, उसमें साक्षात्कार प्रमुख है। बरखा का कहना है कि उनका साक्षात्कार केवल 4 मिनट में निपटा दिया गया है। पांच घंटे में 61 लोगों के साक्षात्कार लिए गए हैं। एेसे में कम समय में कैसे किसी की अन्य योग्यताओं का पता चल सकता है। अभ्यर्थी का आरोप है कि शायद चयन पहले से ही कर लिया गया था, साक्षात्कार तो केवल दिखावे के लिए था।
आपत्ति हो तो कोर्ट जाओ किसी भी अभ्यर्थी के लिए त्रि स्तरीय चयन प्रक्रिया है। स्क्रीनिंग के बाद में 50 अंक अकादमिक के होते हैं, जिसमें दसवीं, बारहवीं, स्नातक, और स्नातकोत्तर व नेट-स्लेट व पीएचडी के अंक जोड़े जाते हैं। इसके बाद 50 अंकों का साक्षात्कार होता है, जिसमें 10 अंक ग्रुप डिस्कशन, 10 अंक डोमेन नॉलेज व 10 अंक अकादमिक नॉलेज के होते हैं। पूरी प्रक्रिया बकायदा कैमरे में रिकॉर्ड की जाती है। यदि किसी को भी आपत्ति है, तो वह कोर्ट जाकर इस पर चुनौती दे सकता है, जो भी व्यक्ति चयन से चूकेगा वह आपत्ति तो करेगा ही।
एचएस भाटी, रजिस्ट्रार, सुखाडि़या विवि