केन्द्र के अधिकारी बताते हैं कि जब वर्ष 1991 में पहली बार यहां सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किया गया तब लोगों को लाने-ले जाने के लिए वाहन व्यवस्था और प्रवेश नि:शुल्क होने के बावजूद भी दर्शकों की भीड़ जुटाने के लिये कई जतन करने पड़ते थे। लेकिन, पिछले कुछ सालों में सांस्कृतिक नवाचारों के सतत प्रयासों के कारण शिल्पग्राम देश-दुनिया के सैलानियों की एेसी पसंद बन गया जहां शिल्पग्राम उत्सव के प्रति लोगों की दीवानगी देखते ही बनती है।
READ MORE :video : शिल्प के ग्राम में कलाओं का उत्सव 21 से, जुटेंगे 21 राज्यों के कलाकार उतरोत्तर बढ़ते आकर्षण का कमाल यूूं तो स्थापना के बाद से ही शहरवासियों सहित सैलानियों के लिए हर साल कुछ न कुछ नया करने के जतन होते रहे लेकिन, पिछले दो-तीन वर्षो में स्क्रीनिंग सेन्टर दृश्यम, बंजारा रंगमंच, पाषाण निर्मित वाद्ययंत्र, लोकनृत्य दर्शाती कांस्य प्रतिमाएं और दर्पण सभागार को वातानुकूलित कर होल्डिंग एरिया की परिकल्पना के अलावा पूरे परिसर में सुरक्षा के मद्देनजर सीसीटीवी लगाए जाने से शहर से यहां परिजनों और मित्रों संग आने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि उत्साहजनक है। इसके साथ स्कल्पचर पार्क
में स्थापित विविध पाषाण कृतियों के बीच विशाल फिल्म रील की प्रतिकृति भ्ाी युवाओं के आकर्षण का केंद्र बनी है। जहां वे अपनी स्मृतियों को सेल्फी के रूप में अपने संग ले जाते हैं।
इनके अलावा सालभर तक कला और संस्कृति के कद्रदानों के लिए फरवरी माह में शास्त्रीय कलाओं पर आधारित ऋतु वसंत तथा अक्टूबर माह में समसामयिक कलाओं पर आधारित शरद रंग उत्सव
प्रारंभ किए गए। इसके साथ फूड फेस्टिवल में देश के विभ्िान्न राज्यों के लजीज व्यंजनों के जायके ने हर किसी को मुरीद बना दिया। आंकड़े गवाह हैं कि नियमित शिल्पग्राम आने वाले
सैलानियों की सालभर की गणना के बराबर दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव में लोग शिरकत करते और आनंदित होते हैं।