गवाह कांति परमार ने बताया कि 26 व 27 दिसम्बर 2006 की मध्यरात्रि को राजस्थान पुलिस ने कैदी के फरार होते समय क्रॉस फायरिंग में जो गोलियां चलाई थी, उन गोलियों के कारट्रेज को कागज में लपेट कर प्लास्टिक डिब्बे में उसके सामने सील किया गया था।
इस पर कोर्ट में वह सील्ड डिब्बा लाया गया। कांतिभाई ने उस डिब्बे व अपने हस्ताक्षरों की पहचान की। कोर्ट में वह डिब्बा खोला तो उसमें चार गोलियां निकली। कांतिभाई ने कोर्ट को यह बताया कि सीबीआई ने 2011 में जब उनके बयान लिए थे और उस समय उन्हें जो डिब्बा दिखाया गया उसमें दो गोलियों के कारट्रेज ही रखे थे। कांति व पन्नाभाई ने बताया कि उन्होंने फर्द रिपोर्ट पर बिना पढ़े ही हस्ताक्षर कर दिए, उन्हें रिपोर्ट पढकऱ भी नहीं सुनाई गई।
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कोर्ट में बुधवार को तीसरे बयान गवाह राकेश अधिकारी के हुए, जो सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के समय पंचशील सिनेमा में काम करता था। उसने बताया कि एक बार सीआईडी के अधिकारियों ने उससे सिनेमा हॉल के बाहर ही कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करवाए थे। लेकिन उसे गुजराती पढऩी नहीं आती थी और यह भी नहीं पता कि कागज में क्या लिखा है। उसके बयानों पर सीबीआई ने उसे पक्षद्रोही कर दिया। गौरतलब हैै कि सोहराबुद्दीन तुलसी एनकाउंटर केस मेें गवाहोंं के बयानों का सिलसिला जारी हैैै। कई गवाह पक्षद्राेेही भी साबित हुए हैैं।
कोर्ट में बुधवार को तीसरे बयान गवाह राकेश अधिकारी के हुए, जो सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के समय पंचशील सिनेमा में काम करता था। उसने बताया कि एक बार सीआईडी के अधिकारियों ने उससे सिनेमा हॉल के बाहर ही कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करवाए थे। लेकिन उसे गुजराती पढऩी नहीं आती थी और यह भी नहीं पता कि कागज में क्या लिखा है। उसके बयानों पर सीबीआई ने उसे पक्षद्रोही कर दिया। गौरतलब हैै कि सोहराबुद्दीन तुलसी एनकाउंटर केस मेें गवाहोंं के बयानों का सिलसिला जारी हैैै। कई गवाह पक्षद्राेेही भी साबित हुए हैैं।