10 जून को सूर्य ग्रहण, परन्तु भारत में दिखाई नहीं देगा
10 जून को भूमंडल में कंकणाकृति सूर्यग्रहण दिखाई देगा। भारत के उत्तरी छोर पर अक्साय चीन में दिखाई देगा। शेष संपूर्ण भारत में यह सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देगा। ज्योतिषाचार्य पं. भरत कुमार खण्डेलवाल ने बताया कि इसके कारण यम, नियम, सूतक आदि मान्य नहीं होगा । चीन, मंगोलिया विघटित रशियन देश रूस, यूरोपीय महाद्वीप ग्रीनलैंड और कनाडा तक कंकणाकृति सूर्यग्रहण दिखाई देगा । दस जून को चंद्रमा की पृथ्वी से औसत दूरी से अधिक दूरी होने से सूर्य को पूरा नहीं ढक पाने से कंगन जैसा सूर्य ग्रहण दिखाई देगा ।
कुछ इस प्रकार से दिखेगा बदलाव
– 1 जून को प्रात: 3 बज कर 54 मिनट से पंचक की शुरुआत। एक जून को बुध का रात 10 बजकर 40 मिनट पर पश्चिम दिशा में अस्त होगा। बुध अस्त के दो दिन पूर्व एवं दो दिन पश्चात पांच दिनों में मेघ गर्जना वायु प्रवाह तडि़त एवं प्रबल वर्षा के योग माने जाते हैं।
– 2 जून को मंगल का नीच राशि कर्क में प्रवेश प्रात: 6 बजकर46 मिनट होगा। इस वर्ष मंगल को राजा व मंत्री दोनों प्रभार प्राप्त होने से संपूर्ण भूमंडल में सरकारों को कड़े निर्णय एवं अनुपालना करवानी होगी। वैश्विक महामारी पर विजय पाई जा सकेगी। इस अवधि में कोरोना की दूसरी लहर भी समाप्त होगी।
– 3 जून को रोहिणी में सूर्य का नौतपा पूर्ण होगा। सूर्य का 9 दिन रोहिणी नक्षत्र में प्रवास भावी प्रबल वर्षा को दर्शाता है। यदि 9 ही दिन सूर्य तपता है तो ऐसी मान्यता है कि संपूर्ण वर्षा ऋतु में प्रचुर वर्षा होती है। इसी दिन बुध ग्रह का वक्र गति से वृषभ राशि में प्रवेश होगा, जिसमें बुध के वक्र गति से मिथुन राशि से वृषभ में प्रवेश से राजनीतिक आर्थिक उथल-पुथल तथा मौसम परिवर्तन वर्षा एवं आंधी तूफान का कारक हो सकते हैं।
– 5 जून की रात्रि 11 बजकर 23 मिनट पर पंचक समाप्ति। पांच कार्यों के अतिरिक्त समस्त उत्सव एवं मांगलिक कार्य संपन्न होंगे। अधिकांश मांगलिक कार्य इन्हीं पांच दिनों के नक्षत्रों में होते हैं।
– 8 जून को सूर्यदेव का मृगशिर नक्षत्र में प्रवेश प्रात: 6 बजकर 35 मिनट पर होगा। सूर्य का उत्तरण की ओर बढऩे का चरम बिंदु इसी नक्षत्र की समाप्ति होता है। इसमें संपूर्ण उत्तरी गोलार्ध में प्रचंड प्रचुर ऊर्जा ऊष्मा एवं तपन प्राप्त होती है ।
– 10 जून को ज्येष्ठ कृष्णा अमावस्या शनि जयंती, चंद्र अस्त दिवस होगा। सूर्य पुत्र शनि जन्मोत्सव के दिन शनि पनौती के लिए यज्ञ, दान, स्वागत, विसर्जन, अनुष्ठान किया जाता है। इसी दिन चंद्र अस्त भी रहता है। वृषभ एवं वृश्चिक राशि पर प्रतिकूल प्रभाव रहेगा।
– 15 जून सूर्य का मिथुन राशि में प्रवेश प्रात: 5 बजकर 59 मिनट पर। सूर्य की मिथुन सक्रांति समग्र उत्तरी गोलार्ध के लिए ग्रीष्म ऋतु महत्वपूर्ण होती है। लम्बे दिन छोटी रातें विभिन्न प्राकृतिक घटनाओं की कारक रहेगी। मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, मकर व कुंभ राशियों के लिए श्रेष्ठ सफलताएं प्राप्त होंगी।
– 20 जून बुध का पूर्व दिशा में उदय शाम 4 बजकर 46 मिनट पर। वर्षा काल में बुध का उदय एवं अस्त होने का क्रम दो से तीन बार होता है। यह सप्ताह 17 जून से 23 जून तक ऋतु प्रकोप आंधी, तूफान, मेघ गर्जना, वायु प्रवाह एवं वर्षा का शुभारंभ होगा। इसी दिन 20 जून को गुरु को वक्री होगा रात्रि 8 बजकर32 मिनट पर। गुरु का वक्री होना विश्व मंदी का संकेत होगा। यह वक्री अवधि 18 अक्टूबर तक रहेगी। जिसमें गुरु अपनी नीच राशि मकर में भी प्रवास करेगा। वक्र गति के दौरान इसके प्रभाव प्रबल होंगे। आर्थिक उठापटक रहने की संभावना रहेगी।
– 21 जून सबसे बड़ा दिन सबसे छोटी रात होगी। इस दिन संपूर्ण उत्तरी गोलार्ध में बड़ा दिन और छोटी रात होती है। उदयपुर मंडल में प्रात: 5 बजकर48 मिनट पर सूर्योदय एवं शाम 7 बजकर 20 मिनट पर सूर्यास्त होगा। 13 घंटे 32 मिनट का दिन तथा 10 घंटे 28 मिनट की रात्रि होगी। इसी दिन यानि कि 21 जून को सूर्य दक्षिणायन, वर्षा ऋतु प्रारंभ व योग दिवस। इसी दिन से सूर्य का दक्षिणायन शुरू होता है, जो 6 मास तक दक्षिण की ओर गति रहती है। पुन: 22 दिसंबर से 6 मास तक सूर्य का उत्तरायण होगा। 21 जून से 22 अगस्त तक वर्षा ऋ तु रहेगी। सर्वाधिक ऊर्जावान दिवस होने से इसे योग दिवस के रूप में संसार भर में मनाया जाता है।
– 22 जून को सूर्य का आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश प्रात: 5 बजकर 33 मिनट पर। आद्र्रा नक्षत्र में प्रवेश के साथ ही उत्तरी भारत वर्ष में पूर्व मानसूनी वर्षा का शुभारंभ होता है।
– 23 जून को बुध का मार्गी होना प्रात: 3 बजकर 26 मिनट पर। सात जुलाई को बुध मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे। यह दो सप्ताह की अवधि मानसून का प्रथम दौर रहेगा। इसमें सर्वत्र वर्षा होगी। इसी दिन 23 जून को शुक्र का कर्क राशि में प्रवेश दिन में 2 बजकर 16 मिनट पर। कर्क राशि में शुक्र पहुंचने पर सर्वत्र सुख-शांति प्रसन्नता का वातावरण होगा।