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उदयपुर

Patrika Sting : यहां स्‍वयंसेवक नहीं रसूखदार बजा रहे ड्यूूूूटी, जानिए कैसे हो रहा खेल..

– यहां स्वयंसेवक नहीं, रसूखदार कागजों में बजा रहे ड्यूटी- पूंजीपति स्वयंसेवक बन सरकार से उठा रहे मानदेय

उदयपुरFeb 12, 2019 / 06:55 pm

madhulika singh

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Patrika Sting : सावधान! गलती से आप आपदा प्रबंधन में कॉल मत कर देना.. यहां चल रहा ऐसा खेल जो उड़ा देगा आपके होश..

मो. इलियास/मुकेश हिंगड़. उदयपुर . अगर आपके आसपास कोई भवन गिर जाए, आग लग जाए, भूकम्प, बाढ़ या कोई बड़ा हादसा हो जाए तो आप गलती से भी आपदा प्रबंधन कार्यालय से सम्पर्क मत कर लेना क्योंकि वहां पर स्वयंसेवक नहीं, वरन राजनीतिक प्रभाव वाले समृद्ध लोग कागजों में नौकरियां कर सरकार से मुफ्त मानदेय उठा रहे हैं। इन्हें पांच से छह दिनों में बकायदा कॉल कर ड्यूटी रजिस्टर में हस्ताक्षर करने के लिए बुलाना पड़ता है। इतना हीं नहीं, अनुपस्थिति लगाने पर ये इंचार्ज को आंखें भी दिखाते हैं।
राजस्थान पत्रिका टीम ने सोमवार को पुला स्थित कार्यालय नियंत्रण (जिला कलक्टर) नागरिक सुरक्षा (अग्निशमन सेवा) की आकस्मिक पड़ताल की तो पता चला कि कार्यालय के उद्घाटन के समय 60 स्वयंसेवकों की नियुक्ति हुई थी। इनमें से महज 15 सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। रोटेशन में तीन शिफ्टों में 24 स्वयंसेवकों को ड्यूटी बजानी होती है। टीम जब वहां पहुंची तो उन्हें इंजार्च के रूप में फायरमैन बालमुकुंद मीणा के अलावा गिने-चुने चंद स्वयंसेवक मिले। इनमें से एक ने तुरत-फुरत कॉल कर सभी को बुला लिया। कुछ ही देर में चीफ वार्डन से लेकर वे स्वयंसेवक भी पहुंच गए जिनकी ड्यूटी ही नहीं थी।

35 रेस्क्यू में अधिकतर मवेशियों को निकाला
पूर्व में प्रदेश के महज 14 जिलों में ही आपदा प्रबंधन का कार्यालय था। भाजपा सरकार ने हर जिले में इसका उद्घाटन किया। 29 जुलाई 2017 को पुलां स्थित इस कार्यालय का तत्कालीन गृह एवं आपदा मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने उद्घाटन किया था। इसका उद्देश्य घटना-दुर्घटना होने पर तुरंत राहत पहुंचना है। टीम ने अब तक उद्घाटन से लेकर करीब 35 रेस्क्यू ऑपरेशन किए। अधिकतर रेस्क्यू गड्ढों में गिरे मवेशियों को बाहर निकाला। इसके अलावा गोगुन्दा व गंगूकुंड में तैराकों ने शव को ढूंढा। जहां आग लगी वहां पहुंचने से पहले ही दमकल ने उस पर काबू पा लिया।

कड़े नियम पर सिर्फ खानापूर्ति

1- ड्यूटी पर तैनात होने वाले स्वयंसेवक निर्धारित गणवेश, समय की पाबंदी एवं अनुशासन में रहेंगे।
हकीकत- प्रशिक्षण के बाद सभी को गणवेश दी लेकिन कोई नहीं पहनता है। ड्यूटी समय की पाबंदी तो छोड़ो, उन्हें कॉल कर घरों से बुलाना पड़ता है। कुछ को तो पांच-छह दिन में हाजिरी रजिस्टर में हस्ताक्षर के लिए बुलाया जाता है। अनुशासन के नाम पर सिर्फ इंजार्च, चालक, इलेक्ट्रिशियन सहित कुल 15 स्वयंसेवक ड्यूटी बजा रहे है।
2- अनुशासनहीनता, लापरवाही, अनुपस्थित पाने पर तत्काल ड्यूटी से हटाकर आरक्षित सूची में से अन्य स्वयं सेवकों की नियुक्ति की जाएगी।
हकीकत- ड्यूटी नहीं बजाते है, अनुपस्थिति डालने पर इंचार्ज को ही आंखें दिखाते हैं। 60 में से 35 की फिक्स ड्यूटी लगा रखी है, अन्य 25 को कोई नहीं पूछता। 7-8 राजनीति रसूख वाले हर माह मानदेय उठा रहे हैं।
3- रेस्क्यू की सूचना तुरंत अधिकारियों को देकर घटनास्थल पर रवानगी।
हकीकत- आग लग जाए तो दमकल खराब। सभी को कॉल कर एकत्र मौके पर पहुंचे तब तक अन्य स्तर पर आपदा नियंत्रण अंतिम चरण पर होता है।
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कोई ड्यूटी नहीं करता है

पत्रिका टीम ने पूछताछ की तो वे एक बार हक्का बक्का रह गए। बाद में उन्होंने दबी जुबान में बताया कि कार्यालय को राजनीति अखाड़ा बना रखा है। राजनीतिक रसूख के दम पर कोई ड्यूटी नहीं करता है। कॉल कर ड्यूटी पर बुलाना पड़ता है। महज 15 लोग ही सक्रिय हैं। इसी कार्यालय में प्रशिक्षण लिया लेकिन कभी कोई घटनास्थल पर भी नहीं पहुंचा।
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