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उदयपुर में स्कूल वैन और ऑटो में कितने सुरक्षित है आपके मासूम, इस खबर को पढ़िए और कीजिए निर्णय…

– बगैर फिटनेस मासूमों को ला रहे ऑटो व वैन- कई बड़े स्कूलों में चल रहे ये वाहन, प्रबंधन के पास रिकॉर्ड ही नहीं – जहां रोड सेफ्टी क्लब वहां बच्चों की सुरक्षा – करौली में मासूम की मौत ने अभिभावकों को हिलाया

उदयपुरFeb 24, 2019 / 01:04 pm

Sikander Veer Pareek

मोहम्मद इलियास/उदयपुर . करौली जिले में हिंडौनसिटी क्षेत्र के गुडला गांव में शुक्रवार को बालवाहिनी की टूटे फ्लोर से नीचे गिरने से एक मासूम की मौत ने राज्यभर में चल रही बालवाहिनियां को जांच के दायरे में ला दिया है। उदयपुर परिवहन विभाग ने निजी स्कूलों की बालवाहिनियों के फिटनेस को सही पाया लेकिन कुछ स्कूलों व अभिभावकों के स्तर पर बालवाहिनी के रूप में संचालित वैन व ऑटो बच्चों की जान को खतरे में डाल रहे हैं। गैस कीट से संचालित वैन मानव बम का काम कर रही है, वहीं कुछ ऑटो नियमों पर बिल्कुल खरे नहीं होने के बावजूद कमाई का जरिया बने हुए हैं।
उदयपुर में बालवाहिनों के रूप में चल रही वैन एवं कई ऑटो अब भी फिटनेस के लिए दौड़ रहे हैं। परिवहन विभाग के पास बाल वाहिनियों के रूप में चल रही बसों के फिटनेस व उनके आंकड़े हैं लेकिन वैन व ऑटो का कोई रिकॉर्ड नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि ये वाहन प्रतिदिन कई बड़े स्कूलों में बच्चों को ले जा रहे हैं लेकिन स्कूलों के पास इन वाहनों व चालक-खलासी की कोई जानकारी नहीं है। अगर कोई हादसा हो जाए या बच्चा गायब हो जाए तो स्कूल प्रबंधन पल्ला झाड़ लेता है। कुछ निजी स्कूलों में तो पत्रिका व स्वयंसेवी संस्थाओं के संयुक्त तत्वावधान में मोस्ट सेफ स्कूल अभियान चलाकर रोड सेफ्टी क्लब गठित किए गए थे। कई स्कूलों में ये क्लब अब भी चल रहे हैं। स्कूली बच्चों की टीमें बालवाहिनी व स्कूल में आने वाले अध्यापक व बच्चों तक के वाहनों की जांच कर रही हैं।
पूर्व में हादसों में गई दो मासूमों की जान
बालवाहिनियों के चालक की लापरवाही से कुछ हादसे भी हुए। इनमें हिरणमगरी व मल्लातलाई क्षेत्र में दो मासूमों की जान गई। बच्चों को उतारने के बाद चालक ने जल्दबाजी में वाहन को आगे बढ़ा दिया जिससे बच्चे अगले व पिछले टायर से कुचल गए।
जहां रोड सेफ्टी क्लब वहां सुरक्षा
शहर में कुछ स्कूलों में रोड सेफ्टी क्लब बने हुए हैं, वहां सुधार आया है। क्लब में 15 से 20 बच्चों को सदस्य नियुक्त किया हुआ है। इनके सुपरविजन के लिए एक शिक्षक लगा रखा है। इन रोड सेफ्टी क्लबों की स्कूल के अलावा पुलिस व परिवहन विभाग की ओर से भी निगरानी की जा रही है।
शिक्षा विभाग की ओर से निजी स्कूलों को मान्यता देते समय स्कूल भवन के साथ ही पूरे नियम शर्तों को देखा जाता है। बाल वाहिनी विभाग के अधीन नहीं है। किसी भी सरकारी स्कूल में यह बालवाहिनी नहीं चल रही है। – ललित दक, अतिरिक्त जिला शिक्षाधिकारी
स्कूलों में सडक़ सडक़ सुरक्षा की जानकारी के साथ ही समय-समय पर बालवाहिनियों की जांच करते है। शहर में संचालित बालवाहिनियों नियमों पर खरी है। बच्चों को लाने वाली वैन व ऑटो की भी अभियान चलाकर आकस्मिक जांच की जाएगी। – कल्पना भटनागर, जिला परिवहन अधिकारी
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इन कामों का होना जरुरी
< विद्यार्थियों की साइकिलों में रिफ्लेक्टर लगवाए जाएं ।
< अभिभावकों से संकल्प पत्र भरवाया जाए कि वे कम उम्र में बच्चों को वाहन नहीं देंगे।
< विद्यालय में हेलमेट अनिवार्य करने के लिए नियम तोडऩे वालों के चालान भी बनाए जाए।
< रोड सेफ्टी क्लब को निरंतर करने होंगे ये काम
< बस चालकों को सीट बेल्ट पहनने के लिए प्रेरित करना
< बाल वाहिनी के नियमों की चैकिंग करना
< शिक्षकों को भी हेलमेट व सीट बेल्ट पहनने के लिए प्रेरित करना
< जो अभिभावक बच्चों को वाहन देते हैं उन्हें विनती करना
< वाहनों व साइकिलों की पार्किंग को व्यवस्थित करना
< बस में चढ़ते उतरते समय अनुशासन रखना।
< बालवाहिनी चालकों के व्यवहार के बारे में बच्चों व अभिभावकों से पूछना
यह है स्थिति
जिले में कुल निजी स्कूल – 1300
शहर में निंजी स्कूल – 200
शहर में निजी स्कूल में संचालित बालवाहिनी- करीब 415
गांव में निजी स्कूल में संचालिक बालवाहिनी – करीब 5
सरकारी स्कूल में बालवाहिनी सिर्फ एक, नगर निगम के सहयोग से

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