इस अवसर पर दल के गायक आसिफ खान ने ‘पधारो म्हारे देस..’ सुनाकर कार्यक्रम का आगाज किया। बाद में ‘सानु इक पल चैन ना आवे…’ ‘दमादम मस्त कलंदर..’ ‘नित खैर मांगा सोणिया मैं तेरी..’ और ‘सासू मांगे कूकड़ी…’ जैसे प्रचलित लोक व सूफी गीतों को सितार, तबले, ड्रम, खड़ताल व गिटार सहित अनेक वाद्य यंत्रों की संगत से नई जान फंूक दी। इसके बाद कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति इंस्ट्रूमेन्टल फ्यूजन में सितार व खड़ताल पर आरिफ खान, सेक्सोफोन पर तसरूफ अली, तबले पर निशाद कावा, ड्रम पर साजिद खान तथा गिटार पर मैल्विन ने अपने हुनर का जलवा दिखाते माहौल की रंगत बदल दी।