गौरतलब है कि 15 मई, 2019 को भटेवर चौराहे पर नाकाबंदी में 353 किग्रा डोडा चूरा जब्त किया गया था। उस दौरान श्यामलाल नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। वल्लभनगर के तत्कालीन डीएसपी संजयसिंह के निर्देशन में यह कार्रवाई हुई थी। पूछताछ में आरोपी श्यामलाल ने आधी अधूरी जानकारी दी। खेरोदा थाने में केस दर्ज होने पर वल्लभनगर थानाधिकारी महिपालसिंह को जांच सौंपी गई। प्रकरण की जांच के दरमियान ही सुमेरपुर (पाली) थाना पुलिस ने दूसरे आरोपी उमेश को गिरफ्तार किया था। वल्लभनगर थाना पुलिस ने आरोपी उमेश को प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किया। इसी दौरान थानाधिकारी महिपालसिंह का स्थानान्तरण हो गया। नए थानाधिकारी सुमेरसिंह ने जांच में तेजाराम से पूछताछ की और निर्दोष मान छोड़ दिया। डोडा चूरा तस्करी के एक अन्य केस में सुमेरसिंह पर लेनदेन का आरोप लगने पर सस्पेंड कर दिया गया। इसके बाद नियुक्त हुए थानाधिकारी गजसिंह ने 7 अगस्त को तेजाराम को गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट के आदेश पर 10 अगस्त को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया। तेजाराम को गलत फंसाना बताते हुए सामाजिक संगठनों और सुमेरपुर के ग्रामीणों ने आंदोलन शुरू किया तो मामला सरकार स्तर पर पहुंचा। सीआईडी-सीबी से जांच के आदेश हुए और आखिर तेजाराम के आरोपी होने के साक्ष्य अपर्याप्त मानते हुए रिहाई की प्रक्रिया शुरू करवाई गई।