चार कोस में भी घबराहट
49 वर्षीय गोवद्र्धनदास 2011 में बलुचिस्तान से भारत आए थे। अब तक उन्हें भारतीय नागरिकता नहीं मिली हैं। हालत यह है कि वे उदयपुर से बाहर नहीं जा सकते। बकौल गोवद्र्धनदास पाकिस्तान में जो राम का नाम लेता है। उसे अलग नजरिए से देखा जाता है। यहां वे सब्जी मंडी में काम करते हैं। वे एक साथ 15 परिवार भारत आए थे। कुछ लोग दिल्ली रुक गए, तो कुछ परिवार यहां आकर बस गए। उनका कहना है कि वे जब भी यहां प्रशासन के पास जाते हैं, तो उन्हें ये कहकर भेज देते है कि उन्हें नागरिकता बाद में मिलेगी। 20 किलोमीटर भी बाहर जाते हैं तो पुलिस का डर बना रहता है।
घिस गई चप्पलें पाकिस्तान के मस्तूंग बलूचिस्तान से 15 वर्ष पूर्व उदयपुर आकर बसे जयपालदास को कुछ समय पहले ही भारतीय नागरिकता मिली है। उन्होंने कहा कि ये नागरिकता उन्हें सात साल में मिलनी थी। नागरिकता प्राप्त करने के लिए उन्हें एड़ी से चोटी तक प्रयास करने पड़े। कार्यालयों के चक्कर खाकर चप्पले घिसनी पड़ी। उन्होंने भावुक होकर कहा कि ये देश हमारे जहन में है। उनका तो ननिहाल और ससुराल ही भारत में थे। यहां आकर वे उनकी बेटी को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसे पीडि़त लोगों की प्राथमिकता से सुने और नागरिकता दे। अभी तो हर दो वर्ष बाद वीजा अवधि बढ़ा देते हैं। ऐसे में उदयपुर से बाहर जाना तक मुमकीन नहीं है। ना यहां कोई सम्पत्ति खरीद सकते हैं। मजहब से बड़ा इंसान है। यहां और वहां केवल धर्म का अन्तर है। बाकी सब एक जैसा है।
पीछे छूटे दोस्त, अलग खुशी
28 वर्षीय सनी बागजाई, पाक के जेकमाबाद स्थित अल मुस्तफा स्कूल में आठवीं में पढ़ते थे। इसके बाद वह जब भारत आए तो उन्हें दोस्तों से बिछडऩा पड़ा। उन्हें पाक से यहां आए 11 वर्ष हो गए। अब तक नागरिकता नहीं मिली। भारत आकर उन्हें पढ़ाई छोडऩी पड़ी। काम धंधे में लगना पड़ा। वह यहां कपड़े की दुकान पर काम कर रहे हैं। उनकी मां नानकी को नागरिकता मिली है, लेकिन पिता लखुमन और भाई विनोद और उन्हें नागरिकता का इंतजार है।
आंकड़ों की हकीकत गौरतलब है कि राजस्थान प्रदेश में कुल 17 हजार 652 पाक विस्थापित हैं। इनमें से कई तो 50 साल से अधिक समय से रह रहे हैं। इनमें से 6 हजार 127 नागरिक ऐसे हैं जो अधिनियम 1955 के तहत नागरिकता प्राप्त करने की पात्रता रखते हैं। ये सभी पाक विस्थापित विदेशी पंजीकरण कार्यालयों में पंजीकृत हैं। पाक नागरिक विदेशी पंजीयन कार्यालय में पंजीकरण को लेकर आवेदन करता है तो उसका नियमानुसार पंजीकरण कर एलटीवी प्रस्ताव राज्य सरकार के माध्यम से गृह मंत्रालय, भारत सरकार को प्रेषित कर दिया जाता है।
जिले वार भारतीय नागरिकता के पात्र जिला…. संख्या उदयपुर…. 91 जयपुर…. 228 श्रीगंगानगर….316 बीकानेर…. 90 अजमेर…. 17 सिरोही…. 62 अलवर… 04 भीलवाड़ा…. 16 हनुमानगढ़…. 01
टोंक…. 01 सीकर…. 06 नागौर…. 07 जालोर ….72 जोधपुर… 4940 पाली …98 कोटा …22 बाड़मेर …63 जैसलमेर …93 ————- कुल 6127