नगर निगम की ओर से वर्ष 2012 में राज्य सरकार को भेजे गए शहरी सीमा विस्तार के प्रस्ताव पिछले 12 साल से सरकारी दफ्तरों में इधर से उधर तफरीह कर रहे हैं। लेकिन इन्हें आज तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका। सरकार ने इस पर जल्द फैसला नहीं किया तो इसी साल नवंबर में प्रस्तावित नगर निगम के आगामी चुनाव भी मौजूदा परिदृष्य में ही होंगे और अगले पांच साल के लिए फिर ये इलाके गांव ही कहलाएंगे। उदयपुर नगर निगम की सीमा का विस्तार अंतिम बार 1969 में हुआ था। तब गोवर्धन विलास व प्रताप नगर सहित कुछ हिस्से शहर में शामिल किए गए थे। यानी 55 वर्ष से उदयपुर शहर की सीमा का विस्तार नहीं हुआ है।
वार्ड बढ़े, लेकिन सीमा नहीं बढ़ी
पिछले नगर निगम चुनाव के समय उदयपुर नगर निगम के वार्डाें का परिसीमन किया गया था। पहले निगम में 50 वार्ड थे। जो बढ़कर 70 हो गए। लेकिन इस परिसीमन में शहर की सीमा का विस्तार नहीं हुआ। सिर्फ वार्डाें की संख्या में बढ़ोतरी हुई।
इन राजस्व गांवों को निगम में शामिल करने के प्रस्ताव
1. बड़गांव 2. हवाला खुर्द 3. हवाला कला 4. सीसारमा 5. देवाली (गोवर्धन विलास) 6. बलीचा 7. सवीना खेड़ायह सही बात है कि निगम की सीमा विस्तार होना चाहिए। इसके लिए पूर्व में प्रस्ताव भी भिजवाए गए थे। लेकिन कुछ हो नहीं सका। अब लोकसभा चुनाव की आचार संहिता समाप्त होते ही इस बारे में संगठन स्तर पर चर्चा करके नगर निगम से फिर प्रस्ताव भिजवाएंगे। साथ ही मुख्यमंत्री एवं स्वायत्त शासन मंत्री से मिलकर प्रस्तावों को मंजूर करने के प्रयास भी करेंगे। ताकि आगामी चुनाव से पहले इन्हें स्वीकृति मिल जाए।
सौंदर्यीकरण, सफाई व्यवस्था सहित अन्य सुविधाओं के लिहाज शहर की सीमा में आ चुके गांवों को नगर निगम में शामिल किया जाना चाहिए। वैसे भी यूडीए में अब 130 गांव शामिल हो चुके, ऐसे में व्यवस्थाओं की दृष्टि से यह आवश्यक है, जो गांव पूरी तरह शहर के दायरे में आ गए, उन्हें निगम को सौंपा जाए। हालांकि मेरे कलक्टर रहते हुए यह मामला कभी संज्ञान में नहीं आया।