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सीईओ डॉ. मंजू ने बताया कि उसके पास किसी मरीज के परिजन का फोन आया था, कि मरीज गंभीर है, श्रीजी अस्पताल में भर्ती है, वेंटीलेटर चाहिए। इसे सुनने के बाद तत्काल हॉस्पिटल के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि ये तो कोविड के लिए अधिकृत किए गए चिकित्सालयों में शामिल ही नहीं है। इसके बाद तत्काल डॉ. मंजू, एसडीएम मावली मयंक मनीष व जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. अंशुल म_ा भूपालपुरा उस हॉस्पिटल में पहुंचे। यहां जाकर पता चला कि कोई फुल टाइम चिकित्सक ही उपचार करने वाला नहीं है। हॉस्पिटल संचालक अरूण जोशी, बीएचएमएस डिग्रीधारी है और उसके पास सरकारी अनुमति नही है कि वह कोरोना मरीजों का उपचार कर सके।
यह मिली स्थिति – हॉस्पिटल में आठ मरीज भर्ती थे, जो आरटीपीसीआर व सिटी स्कोर के आधार पर भर्ती किया गया था।
– मरीजों को यहां ऑक्सीजन पर ले रखा था, यहां ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर व पांच सिलेंडर भी मिले।
– मरीजों का नियमित रिकॉर्ड भी हॉस्पिटल के पास नहीं था।
– जब मरीज गंभीर हो जाता तो उसे दूसरे हॉस्पिटल जाने का कहकर बाहर कर दिया जाता। – बातचीत में सामने आया कि यहां रूटीन सर्जरी भी हो रही थी।
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दो मरीजों को गीतांजली हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया, जबकि अन्य छह मरीजों को एमबी चिकित्सालय में भर्ती करवा जरूरी उपचार शुरू किया गया है। घटना को लेकर भूपालपुरा थाने में मामला दर्ज करवाया है।
—– मामला दर्ज कर रहे हैं…
अनाधिकृत रूप से भूपालपुरा में श्री जी हॉस्पिटल के नाम से प्राइवेट हॉस्पिटल संचालन की रिपोर्ट चिकित्सा विभाग की ओर से दर्ज करवाई गई है। प्रशासनिक टीम ने छापा मारा था, उसमें अनियमितताएं मिली, इस कारण आपदा प्रबन्धन अधिनियम में मामला दर्ज किया गया है, जांच कर कार्रवाई करेंगे।