—– यहां अब भी कार्यरत हैं वर्तमान में भी शहर में बाल श्रम धडल्ले से चल रहा है, ये बात दीगर है कि छापे मारने से पहले ही जानकारी तय लोगों तक पहले ही पहुंच जाती है। होटल, रेस्टोरेंट, ढाबे, निर्माण कार्य, ईंट भट्टों और वाणिज्यिक संस्थान के कामों में अब भी बाल श्रमिक कार्यरत हैं, लेकिन ना तो विभाग की पूरी नजर है और ना ही सरकार इनके प्रति गंभीर।
—— फेक्ट फाइल डेटा (गत पांच वर्ष)- बाल श्रमिक को बचाया: ३१५ – चालान प्रस्तुत हुए: ६२ – चालान में निर्णय: ०९ – सभी का मिलाकर जुर्माना : २०५००- पेंडिंग चालान: ५१ – जेल तक पहुंचे: ०
—- न्यूनतम वेतन से कम पैसे देने वालों के लिए: – न्यूनतम वेतन अधिनियम में क्लेम प्रस्तुत : ६३- कुल निर्णय: १८ निर्णय हो गया – जुर्माना लगा: ३ लाख ९९ हजार ३५८ रुपए – जेल तक पहुंचे: ०
—— ये है नियम बाल श्रमिक अधिनियम धारा १४ में अब चालान पेश होता है। इसमें तीन से छह माह की सजा का प्रावधान है- अब जेजे एक्ट में अब मामले दर्ज होने लगे हैं, इसमें बाल श्रमिकों को बेगारी करवाने वाले को पुलिस पहले हिरासत में ले लेती है, बाद में इसमें कोर्ट में जमानत होती है। जेजे एक्ट के मामले- ११६
—– सबसे बड़ी कार्रवाई- वर्ष २०११-१२ में गारियवास स्थित जिंदल बैग्स से एक साथ ३६ बाल श्रमिकों को छुड़वाया था। इसमें बाल कल्याण समिति, उपखण्ड अधिकारी के दल, श्रम विभाग का दल, मानव तस्करी यूनिट, चाइल्ड लाइन ने एक साथ छापा मारकर पकड़ा था।
—– टीम ने कई बार कार्रवाई कर मामले खोले हैं, समय-समय पर चालान भी पेश किए गए हैं, लेकिन जो बाल श्रम करवा रहे हैं वे कानूनी पेचिदगियों का लाभ उठाकर कानून के शिकंजे से बच जाते हैं, केवल जुर्माना ही उन्हें भरना पड़ता है, इसी कारण लोगों में डर नहीं रहता।
सज्जाद अहमद, श्रम अधिकारी उदयपुर