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उदयपुर

उदयपुर के आदिवासी क्षेत्रों में परिवहन सेवा के हैं बुरे हाल, परिवहन विभााग ने पहली बार समझा आदिवासियों की इस पीड़ा को, उठाया ये कदम

जिला प्रशासन व परिवहन विभाग ने सुधार का भेजा प्रस्ताव

उदयपुरOct 23, 2017 / 06:21 pm

Mohammed illiyas

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मोहम्मद इलियास/उदयपुर. गरीब तबके के आदिवासी को विशिष्ट अनुसूची में शामिल करने के बावजूद आज तक उसे सरकारी योजनाओं का लाभ तो दूर सरकार उसे सुरक्षित व सुविधाजनक परिवहन सेवा भी उपलब्ध नहीं करवा पाई। पेट की खातिर प्रतिदिन गुजरात व मध्यप्रदेश के बॉर्डर पार करने वाले गरीब कम किराए के चलते आज भी ओवरलोड अवैध वाहनों में जान जोखिम में डाल सफर कर रहे हैं। सरकार की ओर से महज करीब 200 वैध वाहन इन क्षेत्रों में चल रहे हैं जबकि तीन हजार से अधिक अवैध वाहन दो राज्यों के बॉर्डर क्षेत्रों में दौड़ रहे हैं।

पहली बार जिला प्रशासन व परिवहन विभााग ने आदिवासियों की इस पीड़ा को समझ कर पूरा खाका तैयार कर सरकार को भिजवाया है। अब सरकार की एक पहल ही आदिवासियों की तकदीर बदल सकती है। विभाग की ओर से हाल ही में किए गए सर्वे में सामने आया कि राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश अंतरराज्जीय मार्गों पर सार्वजनिक परिवहन सेवा के रूप में संचालित अधिकतर वाहन निजी होकर अवैध रूप से संचालित हैं। वैध अनुज्ञापत्र प्राप्त संचालित वाहनों संख्या कम है। यहां पर स्थानीय क्षेत्र में ही निवास करने वाले जनजाति समुदाय के अल्प आय वर्ग के लोग जीपों का संचालन कर रहे हैं। ये वाहन जिन मार्गों पर चलते है उनकी औसत दूरी दोनों राज्यों में 100 किमी. से कम है। यह अंतरराज्यीय सीमा एवं अनुसूचित क्षेत्र है।
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हो सकता है ऐसा निराकरण
राजस्थान, गुजरात व मध्यप्रदेश राज्य के अनुसूचित क्षेत्र से संबंधित है। इस समस्या के निराकरण के लिए संविधान के अनुच्छेद 257 व अनुच्छेद 244 (1) पंचम अनुसूची के भाग अ के प्रावधानों के अनुरूप भारत सरकार के स्तर से राजस्थान, मध्यप्रदेश व गुजरात को प्रशासनिक निर्देश जारी करे तो समस्या के समाधान के लिए एक समान नीति बनाई जा सकती है।

प्रतिवेदन समिति अध्यक्ष को भेजा है
यातायात प्रबंधन के निर्देशानुसार प्रभावी नीतियों का अध्ययन कर तत्कालीन एवं स्थायी निराकरण के लिए एक प्रतिवेदन समिति के अध्यक्ष को प्रेषित किया जा चुका है। राज्य के निर्देशानुसार अग्रिम कार्रवाई होगी।
डॉ.मन्नालाल रावत, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी

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