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उदयपुर

पैसों के लिए बन गए मजदूर, फर्जीवाड़ा कर गरीबों का हक छीनने का बिछा रहे जाल

– श्रम विभाग पकड़ रहा है श्रमिक बनने वाले ऐसे फर्जी आवेदकों को
– अब तक 3 हजार से अधिक आवेदन किए निरस्त

उदयपुरAug 29, 2019 / 11:23 am

Bhuvnesh

Labor

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भुवनेश पण्ड्या/ उदयपुर. मजदूर बनो और जेब भरो, ये फंडा उदयपुर में खूब चल रहा है, यहां श्रम विभाग की पेशानी पर अब इसलिए पसीना उभरकर आ रहा है क्योंकि कई फर्जी आवेदक खुद को मजदूर बता पैसा कूटने के लिए जाल बिछा रहे हैं। ये आवेदन स्वयं को पहले श्रमिक के नाम पर पंजीकृत करवा सरकार की उन योजनाओं का लाभ लेने के लिए श्रम विभाग की आंखों में धूल झोंक रहे हैं, पिछले कुछ वर्षों में विभाग ने तीन हजार से अधिक फर्जी आवेदकों के आवेदन को निरस्त किया है। विभागीय अधिकारी अब भी पूरी खोज परख से ऐसे आवेदकों को स्केन कर रहे हैं जो फर्जी श्रमिक हैं। कई लोगों ने श्रमिक संगठनों के नाम से कई ई मित्र संचालकों से भी सांठ-गांठ कर रखी है।
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लाभ लेने के लिए 3268 बन गए मजदूर श्रम विभाग की योजनाओं का लाभ लेने के लिए उदयपुर में तीन हजार से अधिक फर्जी श्रमिक बन गए। विभाग की ओर से ऐसी कई योजनाएं चल रही हैं जो श्रमिकों के लिए लाभकारी है। जिले में 30 जून तक एक लाख 24 हजार 674 श्रमिक पंजीकृत हैं, जिनमें से विवाह आयोजन के लिए मिलने वाला अनुदान 4282 श्रमिक ले चुके हैं। यह अनुदान 55 हजार रुपए प्रति व्यक्ति दिया जाता है। साथ ही वर्तमान में इस लाभ को लेने के लिए 10291 श्रमिकों ने अपने बेटे-बेटी के विवाह को लेकर आवेदन कर रखा है।
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पहले मैन्यूअल थे अब ऑनलाइन सरकार ने श्रमिकों के लिए 5 फरवरी 2016 से सभी प्रकार के आवेदनों के लिए ऑनलाइन सिस्टम तैयार कर लिया है। ऐसे में वहां से कई आवेदक केवल मिलीभगत से ये आवेदन कर देते हैं। —आठ कल्याणकारी योजनाओं का संचालन असंगठित क्षेत्र में भवन एवं अन्य संनिर्माण कार्य में नियोजित अथवा निर्माण श्रमिकों के लिए श्रम विभाग के भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक कल्याण मण्डल की ओर से 8 कल्याणकारी योजनाओं का संचालन किया जाता है। योजनाओं का संचालन भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक कल्याण उपकर अधिनियम 1996 के अन्तर्गत संग्रहीत उपकर राशि से भवन एवं अन्य संनिर्माण, नियोजन एवं सेवा शर्तों का विनियमन, अधिनियम 1996 एवं राजस्थान नियम, 2009 के प्रावधानों के अनुसार जिलों में स्थित श्रम कार्यालयों द्वारा ऑनलाईन पहले आओ पहले पाओ पद्धति से किया जाता है। स्‍वीकृत योग्‍य आवेदनों में सहायता राशि सीधे पंजीकृत हिताधिकारियों के बैंक खाते में इलेक्‍ट्रोनिक पद्धति से जांच के बाद हस्‍तान्‍तरित की जाती है। प्रदेश में अप्रैल 2014 से मार्च 2019 तक कुल 1192.85 करोड राशि का व्यय किया गया है।
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ये हैं योजनाएं

– शुभ शक्ति योजना: हितधािरयों की वयस्क अविवाहिता बेटियों के लिए व महिला हित धारियों को उद्यमिता से सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के लिए व विवाह के लिए 55 हजार रुपए राशि दिए जाने का प्रावधान है।
– निर्माण श्रमिक शिक्षा व कौशल विकास योजना: हितधारियों के बच्चों को कक्षा छह से आगे की पढ़ाई के लिए आठ से 25 हजार रुपए तक छात्रवृत्ति राशि दी जाती है। आठवीं तक के आगे पढऩे वाले मेधावी छात्र छात्राओं को प्रोत्साहन राशि पात्रता अनुसार 4 से 35 हजार रुपए तक।
– निर्माण श्रमिक जीवन, भविष्य सुरक्षा योजना: इसमें

1. प्रधानमंत्री सुरक्षा योजना- 100 प्रतिशत मंडल की ओर से 12 रुपए अंशदान

2. प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना- 50 प्रतिशत मंडल की ओर से 165 रुपए अंशदान
3. अटल पेंशन योजना: एक हजार रुपए पेंशन के लिए अंशदान का 50 प्रतिशत

4. निर्माण श्रमिक सुलभ्य आवास योजना: अफोर्डेबल हाउसिंग योजना, मुख्यमंत्री जन आवास योजना, केन्द्र व राज्य की अन्य आवास योजनाएं, मंडल की ओर से अधिकतम 1.50 लाख रुपए की योजनाएं।
– सामान्य व दुर्घटना में मौत व घायल होने पर सहायता: दुर्घटना में मौत होने पर राशि पांच लाख, पूर्ण अस्थाई अपंगता पर तीन लाख, आंशिक स्थाई अपंगता के लिए 1 लाख, घायल होने पर 5 से 20 हजार रुपए। सामान्य मौत पर दो लाख।
– प्रसूति सहायता योजना: महिला पंजीकृत हिताधिकारी व पंजीकृत पुरुष हिताधिकारी की पत्नी के प्रसव में बेटे के जन्म पर 20 व बेटी के जन्म पर 21 हजार रुपए का प्रावधान।

– सिलिकोसिस पीडि़त हिताधिकारियों के लिए योजना: सिलिकोसिस पीडि़त होने पर दो व मौत पर तीन लाख – निर्माण श्रमिक औजार सहायता: दो हजार रुपए या वास्तविक खरीद मूल्य जो कम हो उसका लाभ
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सॉफ्टवेयर में कोई आवेदन करते हैं, कही कोई कमी हो तो हम संबंधित को दो बार क्लेरिफिकेशन के लिए भेजते हैं यदि ये कमी पूरी नहीं होती तो उसका आवेदन निरस्त हो जाता है, योजनाओं का लाभ लेने के लिए ये जरूरी है कि मजदूर पंजीकृत हो। वह निर्माण श्रमिक होना चाहिए, अधिकृत व्यक्ति द्वारा जारी किए आवेदन पर पंजीकरण होता है। ट्रेक करने के लिए कई बिन्दु देखे जाते हैं। इसमें एक वर्ष में 90 दिन काम किया हुआ व्यक्ति होना चाहिए। कुछ माह से निर्माण श्रमिक नाम को फिक्स किया गया है। आवेदन में गड़बड़ी पकडऩे के लिए अभी विभाग काफी काम कर रहा है।
पीपी शर्मा, संयुक्त श्रम आयुक्त श्रम विभाग उदयपुर

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