विद्यालय में अंग्रेजी, गणित व विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण विषयाध्यापक तो दूर मातृभाषा पढ़ाने वाले हिन्दी के अध्यापकों का ही अभाव है। समस्या तब और गंभीर हो जाती है, जब विद्यालय के छात्रावास में अध्ययन के लिए रहने वाले बच्चे घर से दूर भविष्य बनाने के लिए बचपन से संघर्ष कर रहे हैं। बता दें कि टीएसपी क्षेत्र को लेकर बहुत से अध्यापकों का तबादला हुआ, जो बिना देर लगाए रिलीव हो गए, लेकिन यहां आने वाले अध्यापकों ने अब तक भी जोइनिंग नहीं दी है।
क्षेत्र के एक मात्र कन्या विद्यालय का भविष्य भी अच्छा नहीं है। छात्रावास में रहकर भविष्य में कुछ बनने की चाह रखने वाली बालिकाओं को विद्यालय में शिक्षकों की कमी से जूझना पड़ रहा है। यहां करीब 30 स्वीकृत पदों के जवाब में महज 8 कार्मिक ही सेवाएं दे रहे हैं। इनमें 3 व्याख्याता, 2 द्वितीय श्रेणी और 5 तृतीय श्रेणी के शिक्षक हैं। यहां पर भी प्रधानाचार्य का पद रिक्त बना हुआ है।
तबादलों के बाद से स्कूलों में शिक्षकों की संख्या का आंकड़ा गड़बड़ा गया है। इस क्षेत्र में हुए तबादलों के बाद शिक्षकों ने अब तक जोइनिंग नहीं दी है। उनकी ओर से मेडिकल दिए जा रहे हैं। tribal school हालांकि, शिक्षा निदेशक के आदेश हैं कि ऐसे अध्यापकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई तय की जाए।
शिवजी गौड़, संयुक्त निदेशक, स्कूल शिक्षा, उदयपुर