मामा को पेशी पर ले गए तब हम जेल में थे
कुंदन ने आगे बयानों में बताया कि एसपी दिनेश एमएन ने कहा था तुम यहां क्यों आए, तुमने हमारा काम बिगाड़ा है। तुलसी के साथ इन्हें भी मार देते है। कुंदन ने बताया कि अवैध हिरासत के दौरान एसपी दिनेश एम.एन.,सीआई अब्दुल रहमान, नारायणसिंह, कांस्टेबल तेजसिंह, करतार, युद्धवीर सहित अन्य पुलिसकर्मी आते थे और मारपीट करते थे। कुंदन ने आगे बताया कि २५ दिन बाद पुलिस ने मुझे व दोस्त विमल को स्मैक का फर्जी केस बनाकर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल में मामा तुलसी व उनके साथी भी थे। जेल में मामा ने बताया कि पुलिस ने सोहराबुद्दीन को फर्जी मुठभेड़ में मारा था। मैं चश्मदीद गवाह हूं, इसलिए पुलिस मुझे भी मारना चाहती है। पुलिस २५ नवम्बर 2006 को मामा तुलसी को अहमदाबाद पेशी पर लेकर गई थी तब हम जेल में ही थे। आजम को किसी अन्य फर्जी केस में ले गई थी, इसलिए उसे मामा के साथ पेशी पर नहीं ले गए थे। मामा ने जान का खतरा होने का अंदेशा जताया था और कहा था कि मैने कई जगह इस संबंध में एप्लीकेशन दे रखी है, तो पुलिस कुछ नहीं करेगी। बाद में हमें सूचना मिली कि पुलिस ने मामा तुलसी को फर्जी मुठभेड़ में मार दिया।
किए सवाल तो आया विरोधाभास बचाव पक्ष के वकील के पूछने पर कुंदन ने बताया कि सीबीआई अधिकारी राजीव चंडोला ने मेरा बयान लिया था, लेकिन मुझे कभी पढक़र नहीं सुनाया गया। बयान में क्या लिखा, सच या झूठ मुझे यह भी नहीं पता। सीबीआई को मैंने बताया था कि मैं तुलसीराम के दोस्तों को नहीं जानता, न ही पहचानता हूं। सीबीआई को मैंने एेसा कभी नहीं कहा कि मामा ने जेल में रहकर खुद को सोहराबुद्दीन केस के गवाह होने के बारे में बताया हो। कुंदन ने बताया कि तुलसी व सोहराबुद्दीन दोस्त थे, मुझे तो यह भी नहीं पता था। वे दोस्त थे एेसा मैंने सीबीआई को कभी नहीं बताया। रूबाबुद्दीन का नाम भी कभी नहीं सुना, न मिला, न जातना हूं। २५ दिन की अवैध हिरासत को लेकर बचाव पक्ष के वकील के पूछने पर कुंदन ने बताया कि रिमांड के लिए कोर्ट में पेश करते समय या जमानत के दौरान भी मैंने इसकी जानकारी कभी कोर्ट को नहीं दी, न ही सीबीआई को इसके बारे में कुछ बताया।