scriptपंचायत नहीं बनी तब से चक्करघनी बना अम्बेरी | udaipur amberi gram panchyat in udaipur uit area problems udaipur city | Patrika News
उदयपुर

पंचायत नहीं बनी तब से चक्करघनी बना अम्बेरी

शहर में स्थित अम्बेरी ग्राम पंचायत की। उदयपुर-नाथद्वारा रोड पर स्थित अम्बेरी पंचायत शहर व पंचायतीराज दोनों का हिस्सा है लेकिन नियमों के फेर ने उलझा रखा है। पट्टों की बात हो या सुविधाओं की सबके लिए नियमों का पचड़ा सब कुछ उलझा देता है।

उदयपुरNov 29, 2021 / 11:32 pm

Mukesh Hingar

udaipur amberi gram panchyat

udaipur amberi gram panchyat

उदयपुर. शहरी क्षेत्र की एक ग्राम पंचायत ऐसी है जहां अधरझूल का फंदा ऐसा लगा है कि सब तरफ से ग्रामीण चक्करघनी बने हुए है। विकास हो या जनता का अपना काम सबके लिए चक्कर पर चक्कर। पहले जब पंचायत नहीं थी तब यह गांव परिसीमन में ये इधर से उधर शिफ्ट हो जाता। अब जब प्रशासन गांवों व शहरों के संग शिविर चल रहे है तब भी मुश्किलों की उलझन बनी है। यह दास्तां है शहर में स्थित अम्बेरी ग्राम पंचायत की। उदयपुर-नाथद्वारा रोड पर स्थित अम्बेरी पंचायत शहर व पंचायतीराज दोनों का हिस्सा है लेकिन नियमों के फेर ने उलझा रखा है। पट्टों की बात हो या सुविधाओं की सबके लिए नियमों का पचड़ा सब कुछ उलझा देता है।

पहले बेदला में शामिल थे अम्बेरी में
अम्बेरी का इलाका किसी समय बेदला पंचायत में आता था। फिर भुवाणा पंचायत में शामिल कर दिया। इसके बाद हुए परिसीमन में पंचायत को ढीकली में शामिल कर दिया और अंत में अम्बेरी खुद को ग्राम पंचायत बना दिया गया। अम्बेरी कभी किस पंचायत में तो कभी किसमें जाने इसका समुचित विकास नहीं हो पाया। अब पंचायत होने के साथ-साथ ही यूआइटी पेराफेरी में शामिल होने से अब अधिकारों को लेकर संघर्ष चल रहा है।

पंचायत ही बिलानाम पर बसी
पंचायत की अधिकांश बसावट ही बिलानाम भूमि पर बसी है। अब पट्टों को लेकर संघर्ष चल रहा है। सबसे बड़ी समस्या यह हो रही है कि पीएम आवास योजना में समस्या आ रही है, उसमें पट्टे की कॉपी चाहिए लेकिन लोगों के पास पट्टे ही नहीं है। वार्ड पंच बाबूलाल गमेती कहते है कि जो कॉलोनियां है वहां अंदर तक कचरे की गाडिय़ां तक नहीं आती है।

ये गांव व कॉलोनियां आती पंचायत की
अम्बेरी पंचायत में मेहरों का गुड़ा, बोरो का गुड़ा, अम्बेरी, पिपलाज माता कॉलोनी, हियादरा बस्ती, कुंभा मगरी, भीलों का बेदला, सुखेदव विहार, प्रतापपुरा, ओटो का गुड़ा, ढाणी आते है। मेहरों का गुड़ा व बोरो का गुड़ा तो राजस्व गांव भी घोषित नहीं हुए है। पंचायत में करीब 4000 मतदाता है।

इनका कहना है…
पंचायत बनी उससे पहले संघर्ष चलता आ रहा है और आज भी मुश्किलें सामने है। लोगों को अपने घर के पट्टे मिल जाए यह सबसे बड़ा काम होगा। कॉलोनियों के अंदर कचरा उठाने वाली गाडिय़ां जाए इसके लिए यूआईटी को लिखित में दिया लेकिन समाधान नहीं हुआ।
– रसकी बाई गमेती, सरपंच
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो