इन ऑटो चालकों की दादागिरी पर किसी की नहीं लगाम, यात्रियों को कर रहे परेशान
इन ऑटो चालकों की दादागिरी पर किसी की नहीं लगाम, यात्रियों को कर रहे परेशान
इन ऑटो चालकों की दादागिरी पर किसी की नहीं लगाम, यात्रियों को कर रहे परेशान
मोहम्मद इलियास/उदयपुर
इस शहर में वाजिब किराए पर अगर आपको कोई ऑटो चालक गंतव्य पर छोड़ तो समझो राहत मिल गई। पत्रिका संवाददाता ने सिटी रेलवे स्टेशन पर उदयापोल से अशोकनगर तक ऑटो करना चाहा तो हरेक चालक का अलग-अलग किराया सुन सन्न रह गया। कोई 150, कोई 100 तो कोई 80 रुपए मांगने लगा। जिसने कम मांगा उसके साथ जाने का प्रयास किया तो साथी ऑटो चालकों ने उससे गाली गलौज की। इतने में जब मैने किराया सूची मांगी तो वे आग बबूला हो गए और बाहें चढ़ाते हुए अपशब्द बोलने लगे। कुछ देर खड़ा रहा तो वे यात्रियों से लपकागिरी करने लगे। कोई उन्हें सस्ती होटल बताने लगा तो कोई छोडऩे के एवज मुंह मांगा किराया मांगने लगा।’यह तो एक बानगी है। ऐसे रोज कई मामले होते हैं। इसमें ऑटो चालक ‘दादागिरी’ करते हुए मनमर्जी से किराया वसूलते हैं। राज्य सरकार व परिवहन विभाग की ओर से ऑटो चालकों के किराए पर किसी तरह का लगाम नहीं होने से दिन ब दिन इनकी ‘दादागिरी’ बढ़ती ही जा रही है।
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कोई रेट चार्ट दिखाने का तैयार नहीं
बाहर से आने वाले पर्यटक शहर की तंग गलियों की वजह से ऑटो पर ही निर्भर रहते हैं। ऐसी स्थिति में अंदरुनी शहर में ले जाने के लिए ऑटो चालक ज्यादा वसूली करते हैं। उनके विरोध करने, पूछने पर या रेट चार्ट दिखाने का कहने पर ‘दुव्यर्वहार’ करने लगते हैं। वे प्रशासन का तय किराया मानने को तैयार ही नहीं है। ऐसे चालकों के विरुद्ध यूनियन व प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं करने से प्रतिदिन यात्रियों को इसका खमियाजा भुगतना पड़ रहा है।
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गरदुल्लों के हाथों में भी ऑटो शहर में कई इलाकों में गरदुल्लों के हाथों में ऑटो की स्टेयरिंग है, वे अपनी मनमर्जी से ऑटो को चला रहे हैं। कई ऑटो चालकों के पास लाइसेंस नहीं है, कई बिना परमिट के चल रहे है। परिवहन व पुलिस के पास इन ऑटो चालकों के नाम, पते, मोबाइल नम्बर तक नहीं है। कोई भी निर्धारित वर्दी नहीं पहनता। कई ऑटो चालकों के पास कॉमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं हैं। अधिकतर के पास पूरे कागजात भी नहीं है। बिना कागजात के ये धड़ल्ले से ऑटो चला रहे हैं। किसी के पास परमिट तो किसी का फिटनस प्रदूषण प्रमाण पत्र भी नहीं है।
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प्रशासन की ढिल, आए दिन विवाद
– ऑटो चालकों द्वारा मनमाना किराया वसूली पर रोक लगाने परिवहन अधिकारी व पुलिस के अब तक आंखें मूंदे बैठे, कोई ठोस योजना नहीं
– जिम्मेदार अफसरों ने अब तक अलग-अलग रूटों के लिए न तो किराया तय कर रखा है और न ही किसी सार्वजनिक जगहों में सूची चस्पा कर रखी।
– अधिक पैसे मांगने पर लोगों से आए दिन विवाद होते हैं।
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इतने ऑटो शहर में
शहर में कुल ऑटो रिक्शा- ऑटो रिक्शा- करीब 3500करीब
1500 ऑटो चालक नशेड़ी व बिना लाइसेंसी बिना परमिट व बिना कागज के कई ऑटो रिक्शाकिसी के पास किराया की सूची नहीं, मनमर्जी से वसूली
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प्री-पेड बूथ पर इतना था किराया
प्रीपेड बूथ- रेलवे स्टेशन, राणाप्रतापनगर, बसस्टैण्ड, उदियापोल चौकयह तय था किराया- पहले एक किलोमीटर पर 12 रुपए,, फिर 6 रुपए प्रति किलोमीटर, वेटिंग चार्ज अलग- 10 किलो पर भार यात्री के साथ उसके ऊपर पांच रुपए प्रति चार्ज।- रात 10.30 बजे के बाद से तडक़े 5.30 बजे डेढ़ा चार्ज
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तय हो किराया
कुछ ऑटो चालकों की मनमर्जी के चलते सीधे साधे ऑटो चालक बदनाम हो रहे है। यूनियन उन्हें बार-बार आगह कर समझाइश भी करती है। कई गरदुल्ले, शराबी भी ऑटो चला रहे जो उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार व परिवहन विभाग महंगाई व पेट्रोल के दाम के अनुसार सभी यूनियन को शामिल कर किराया तय करे तो निश्चित रूप मनमर्जी पर लगाम लगेंगे।
मोहम्मद सईद सक्का अध्यक्ष इंडियन ऑटो रिक्शा चालक श्रमिक यूनियन इंटक
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सरकार प्री-पेड लागू करें लेकिन सभी ऑटो चालकों मजबूरी को भी पूरा ध्यान रखे। यूनियन को साथ लेकर किराया निर्धारित करे, नियम कानून बनाए उसी के अनुसार ऑटो संचालन करवावें। नियम विरुद्ध व नशे में ऑटो चलाने वालों के खिलाफ प्रशासन सख्ती बरते। नशे की हालत में ऑटो चलाने वाले का रजिस्ट्रेशन भी रद्द करे।
भगवतीलाल साहू, संस्थापक अध्यक्ष मेवाड़ ऑटो चालक श्रमिक यूनियन
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ऑटो चालकों की किराए को लेकर मनमर्जी को रोकने के लिए शीघ्र ही प्री-पेड बूथ खोले जाकर किराया निर्धारित किया जाएगा। जिससे पर्यटकों व आमजन को फायदा होगा।
प्रकाशसिंह राठौड़, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी
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प्री-पेड बूथ खुलने के साथ ही हर रूट का किराया तय होगा तो निश्चित रूप से यात्रियों को राहत मिलेगी। अधिक किराया, दुव्र्यवहार आदि पर लगाम लगेगी।
सुधा पालावत, यातायात उपाधीक्षक– .