क्षेत्रवासी प्रतापसिंह चावला सहित डाली बाई, भोलाराम, शैलेन्द्र पांडे आदि ने बताया कि यूआईटी की इस कॉलोनी में पानी, बिजली, नालियां, सड़क और सफाई जैसी मूलभत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। इन तमाम समस्याओं को लेकर कई मर्तबा संबंधित विभागों को सूचित किया जा चुका है। लेकिन, स्थाई हल नहीं निकला है।
इधर, सूने पड़े सैकड़ों घरों के बीच आबाद बस्ती के हजारों निवासी उक्त सुविधाओं के अभाव के साथ सुरक्षा, चिकित्सा, मनोरंजन और शिक्षा के क्षेत्र में भी उपेक्षा का दंश भोग रहे हैं। क्षेत्र का दौरा करने के दौरान पत्रिका संवाददाता ने पाया कि योजना के ए-बी-सी तीनों ब्लॉक में कमोबेश हर जगह सूने पड़े मकान और उनके आसपास उगी कंटीली झाडि़यां गाजर घास तथा हर जगह फैली गंदगी न सिर्फ यहां के नागरिकों को किसी अनहोनी का अहसास हर पल कराते हैं बल्कि आए दिन मौसमी बीमारियों का सबब भी बनते हैं।
READ MORE : उदयपुर में नाराज भाजपा नेताओं ने कहा, कटारिया है तब तक नहीं जाएंगे पार्टी में मौके पर घूमते हुए संवाददाता को उपेक्षित पार्क, टूटी रोड लाइट्स और उखड़ी सड़कें, रुकी नालियों से फैलता बदबूदार पानी, यत्र-तत्र पसरे मवेशी भी दृष्टिगत हुए। लोगों से पूछने पर पता चला कि इस योजना में एक भी सरकारी स्कूल और चिकित्सालय नहीं होने से बच्चों को पढ़ाने और इलाज के लिए चार-पांच किलोमीटर दूर सेक्टर-१४ या हिरण मगरी जैसे अन्य उपनगरीय क्षेत्रों में जाना पड़ता है। इतना ही नहीं घरेलू आवश्यकताओं के मद्देनजर आमजन को करीब डेढ़ किलोमीटर दूर प्रतापनगर मुख्य मार्ग तक पहुंचना पड़ता है। जहां से काफी इंतजार के बाद सिटी बस या टेम्पो सुविधा मिल पाती है।
इनका कहना है.. कॉलोनी के तीनों ब्लॉक में अभी काफी कम संख्या में लोग रह रहे हैं। एेसे में अलॉट हुए खाली मकानों की दुर्दशा वाकई चिंता का सबब है। हालांकि, यूआईटी इस योजना के विकास को लेकर पूरी तरह संजीदा रही है। बावजूद इसके कोई कमी रह गई होगी तो मौका देखकर शीघ्र निराकरण कराने का प्रयास करूंगा।
– रवीन्द्र श्रीमाली, चेयरमैन, यूआईटी